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Narendra Giri Death Case: महंत नरेन्द्र गिरि की मौत के मामले को सीबीआई जाँच के लिए सौंप दिया है

Narendra Giri Death Case: योगी सरकार ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि की मौत के मामले को सीबीआई जाँच के लिए सौंप दिया है| सुसाइड नोट के आधार पर पहले माना जा रहा था की नरेंद्र गिरी ने आत्महत्या की है पर मौत को लेकर खड़े कईं सवालों की वजह से योगी सरकार ने इस केस को सीबीआई को सौंप दिया है|Narendra Giri Death Case: महंत नरेन्द्र गिरि की मौत के मामले को सीबीआई जाँच के लिए सौंप दिया है

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लखनऊ

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Mahima Soni

Oct 02, 2021

Narendra Giri Death Case: महंत नरेन्द्र गिरि की मौत के मामले को सीबीआई जाँच के लिए सौंप दिया है

Narendra Giri Death Case: महंत नरेन्द्र गिरि की मौत के मामले को सीबीआई जाँच के लिए सौंप दिया है

लखनऊ.Narendra Giri Death Case: अभी कुछ दिन पहले ही योगी सरकार ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि की मौत के मामले की जाँच भी सीबीआई को सौंपी थी। प्रयागराज में बाघंबरी पीठ के पीठाधीश और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि ने 21 सितंबर को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड नोट में उन्होंने अपनी मौत का जिम्मेदार अपने शिष्य महंत आनंद गिरि को बताया था। मगर मौत को लेकर कई सवाल खड़े होने के बाद 23 सितंबर को योगी सरकार ने इस मामले की जाँच की सिफारिश सीबीआई से की थी। जिसके बाद सीबीआई ने जाँच शुरू भी कर दी है।

क्या प्रदेश सरकार को अपनी ही पुलिस पर भरोसा नहीं?
तो सवाल ये पैदा होता है कि क्या प्रदेश सरकार को अपनी ही पुलिस पर भरोसा नहीं है? आखिर इस तरह के मामलों की जाँच के लिए गठित एसआईटी क्या करती है? आखिर क्यों यूपी पुलिस की जाँच पर सवालिया निशान लगता है? सवाल ये भी पैदा होता है कि जब प्रदेश सरकार को ही अपनी पुलिस पर भरोसा नहीं तो प्रदेश की आम जनता किस पर भरोसा करे। वो कहाँ जाये अपनी फरियाद को लेकर। अब हर मामला तो इतना हाई-प्रोफाइल तो हो नहीं सकता कि सबकी जाँच सीबीआई करे। फिर सीबीआई की भी तो अपनी सीमाएँ हैं वो एक साथ कितने मामलों की जाँच करेगी।

कुछ प्रमुख मामले जिनकी जाँच कर रही CBI
2017 में योगी आदित्यनाथ ने सरकार में आने के साल-डेढ़ साल के अंदर ही कुछ मामलों की जाँच सीबीआई को सौंप दी थी। ये कुछ मामले हैं गोमती रिवर फ्रंट घोटाला, यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी घोटाला, उन्नाव गैंगरेप काण्ड, देवरिया का बालिका शेल्टर होम सेक्स रैकेट मामला, उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की भर्तियों की जाँच, यूपी शुगर फेडरेशन में घपले की जाँच, दिल्ली-सहारनपुर एक्सप्रेस वे घोटाला, हाथरस गैंगरेप मामला, नरेन्द्र गिरि मौत की जाँच और अब मनीष गुप्ता हत्याकाण्ड की जाँच भी CBI से करने की सिफारिश कर दी गयी है।

CBI जाँच पर रोक भी लगा सकती है राज्य सरकार
जहाँ राज्य सरकारें सीबीआई जाँच की सिफारिश केन्द्र सरकार से कर सकती है, वहीं अगर वो चाहें तो केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के भीतर किये जा रहे किसी भी सीबीआई जाँच पर रोक भी लगा सकती हैं। हाँलाकि इस तरह के मामले में CBI के पास एक विकल्प ये रहता है कि वो हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेकर मामले की जाँच कर सकती है। या फिर चुनाव के बाद अगर अगली सरकार सम्बंधित मामले की जाँच की दोबारा अनुमति दे सकती है।

5 राज्य लगा चुके हैं CBI जाँच पर रोक
हालाँकि ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि राज्य सरकार किसी जाँच को रोकती हो, मगर अब तक पाँच राज्यों की सरकारों ने सीबीआई (CBI) जाँच पर रोक लगायी है। ये पाँच राज्य हैं आन्ध्र प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र।

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