
Neeraj Patel
Mauni Amavasya 2018 : माघ मास की मौनी अमावस्या का दिन खास होता है। यूं तो पूरे माघ महीने को ही बेहद खास माना जाता है। लेकिन आज 16 जनवरी दिन मंगलवार को मौनी अमावस्या को उत्तर प्रदेश में मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में व्रत-उपवास के साथ ही प्रमुख तिथियों पर तीर्थ क्षेत्र में स्नान करने का विधान है। इस पावन दिन पर लोग पितरों को याद करते हैं और उनके नाम पर स्नान, दान भी किया जाता है। इनमें भी प्रयाग स्नान की अगाध महिमा है। ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, आदित्य, मरुद्गण तथा अन्य सभी देवी-देवता माघ मास में संगम स्नान करते हैं ऐसा माना जाता है कि इस स्नान को करने और कल्पवास करने वाले को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। शास्त्र कहते हैं इस दिन मौन रहना अक्षय पुण्य को प्रदान करता है।
पूजा का समय और स्नान शुभ मुहूर्त
लखनऊ निवासी पंडित दिलीप दुबे ने बताया है कि मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त 16 जनवरी 2018 को प्रात: 5:11 बजे से 17 जनवरी 2018 को प्रात: 7:47 बजे खत्म रहेगा।
पूजा विधि
मौनी अमावस्या के दिन प्रात: काल जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद घर की पूर्व दिशा में लाल कपड़ा बिछाकर जल से भरे दो कलश में तिल, उड़द व पीपल के पत्तों पर नारियल रखकर कलश स्थापित करें। इसके बाद भगवान शिव जी और विष्णु का पूजन करें। पूजा के दौरान चमेली के तेल का दीपक जलाएं, गूगल से धूप करें। भगवान को लाल फूल, सिंदूर, हल्दी, केसर, चंदन अर्पित करें। इसके बाद गुड़ और तिल का भोग लगाकर चंदन की माला से 108 बार ह्रीं हरिहर मद-गज-वाहनाय नम: मंत्र का जाप करें। पूजा संपन्न होने के बाद गाय को गुड़ में तिल मिलाकर खिलाना बहुत ही पुण्यकारी होता है।
मौनी अमावस्या का महत्व
शिवपुराण के अनुसार हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या को सबसे बड़ी अमावस्या माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से विशेष फल मिलता है और जरुरतमंदों को दान करने से ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है समुद्र मंथन के दौरान जब धनवंतरी अमृत कलश लेकर पैदा हुए तो देवों और राक्षसों में लड़ाई हो गई, जिससे अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदे संगम में गिर गई। इसलिए मौनी अमावस्या के दिन स्नान का विशेष महत्व होता है।
मौनी अमावस्या पर कुछ विशेष चीजों का ध्यान रखें
1. किसी भी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ण करने के लिए सांझ ढले पीपल अथवा बड़ के पेड़ का पूजन करें तथा देसी घी का दीपक जलाएं।
2. तामसिक वस्तुओं का सेवन न करें विशेषकर शराब का क्योंकि अमावस्या के दिन शराब पीने से शरीर पर ही नहीं, भविष्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
3. पुराणों के अनुसार अमावस्या तिथि के देव पितृ माने जाते हैं इसलिए इस दिन पितरों के नाम का शुद्ध शाकाहारी भोजन किसी जनेऊधारी ब्राह्मण को अर्पित करें अगर संभव न हो तो खीर ही अर्पित कर दें।
4. इस मौनी अमावस्या के शुभ दिन पर किया गया दान बनाएगा आपको धनवान- स्वर्ण, कंबल और तिल करें दान।
5. दूध में अपनी छाया देखकर काले कुत्ते को पिलाएं। सभी तरह की मानसिक परेशानियां दूर हो जाएंगी।
6. गाय को आटे में तिल मिलाकर रोटी दें, घर-गृहस्थी में सुख-शांति आएगी।
7. सूखे या मृत कुएं में दूध बहाएं, सेहत ठीक रहेगी। रोग कोसों दूर भागेंगे।
8. लक्ष्मी जी, शिव परिवार को चावल की खीर अर्पित करें धन-संपत्ती से भंडार भरें रहेंगे।
क्या मान्यता है और क्या करने से बचना है
1. मौनी अमावस्या के दिन किसी भी इंसान को शमशान घाट या कब्रिस्तान में या उसके आस-पास नहीं घूमना चाहिए। इस समय बुरी आत्माएं सक्रिय रहतीं हैं और इंसान इस वक्त नकारात्मक शक्तियों से लड़ने में सक्षम नहीं होता है। नकारात्मक शक्तियां मानसिक रूप से कमजोर किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती हैं।
2. मौनी अमावस्या के दिन स्नान का महत्व बहुत ही खास होता है इसलिए आप किसी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर पाएं है तो घर पर जरूर स्नान करें। स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने की भी मान्यता है कि स्नान से पहले तक कुछ बोलना नहीं चाहिए और मौन ही रहना चाहिए।
3. मौनी अमावस्या के दिन चटाई पर सोना चाहिए और शरीर में तेल लगाने से बचना चाहिए।
4. मौनी अमावस्या के दिन आपने व्रत धारण किया है तो फिर किसी प्रकार का श्रृंगार भूलकर भी न करें।
5. घर में पितरों की कृपा पाने के लिए मौनी अमावस्या के दिन घर में कलह का माहौल बिल्कुल नहीं होना चाहिए। लड़ाई-झगड़े और वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए। इस दिन कड़वे वचन को मुख में नहीं लाना चाहिए।
6. मौनी अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है लेकिन शनिवार के अलावा अन्य दिन पीपल का स्पर्श नहीं करने की परंपरा रही है अत: वृक्ष की पूजा करें लेकिन पीपल के वृक्ष को भूलकर भी स्पर्श न करें।
7. इस दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए। इस दिन जल्दी उठकर स्नान करके पूजापाठ के बाद ही भोजन करना चाहिए।
8. इस दिन शराब, मांस के सेवन इत्यादि से खुद को दूर रखना चाहिए।
इन मंत्रों का करें जाप
अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीर् अवन्तिका, पुरी, द्वारावतीश्चैव: सप्तैता मोक्षदायिका ||
गंगे च यमुनेश्चैव गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू ||
स्थानं स्वर्गेथ पाताले यन्मर्ते किंचिदत्तंम | तद्व्पोंत्य संधिग्धम पद्मयोंने प्रसादत: ||
गायत्री मंत्र – ॐ भू भुर्व: स्व: तत सवितुर्वरेण्यं | भर्गो देवस्य धीमहि | धियो यो न: प्रचोदयात् ||
Updated on:
16 Jan 2018 05:55 pm
Published on:
16 Jan 2018 12:49 pm
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