
mayawati attacks on bjp on ED, CBI issue, Smarak Ghotala to Akhilesh
लखनऊ. आम चुनाव के ठीक पहले गठबंधन करने वाली सपा-बसपा के करीबी नेताओं और अधिकारियों के यहां ताबड़तोड़ छापे मारी शुरू हो गई है। इसी क्रम में अब स्मारक घोटाले की फाइलें खंगाली जा रही हैं। बताया जाता है कि सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय की टीम मायावती के नजदीकी अधिकारियों के यहां फिर से छापे मारने की तैयारी में है। सीबीआई और ईडी के छापों का सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती विरोध दर्ज करते हुए केन्द्र सरकार आरोप लगाया था कि गैर भाजपाई दलों को दबाव में लेने के लिए यह छापेमारी की जा रही है।
बताते चलें कि भाजपा सरकार ने सपा सरकार के कार्यकाल में हुए रिवरफ्रंट मामले की जांच और अवैध खनन मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को घेरने की पूरी तैयारी कर रखी है। उसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया गया है। मायावती सरकार के कार्यकाल में कथित तौर पर हुए 14 अरब के स्मारक घोटाले का है। ईडी ने इस मामले में बीएसपी सुप्रीमो मायावती के करीबियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है।
माया के नजदकी अधिकारियों के यहां पड़ रहे हैं छापे
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीते गुरुवार को लखनऊ और एनसीआर के 6 ठिकानों
पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। ईडी की टीम ने राजधानी के गोमती नगर में इंजिनियरों, ठेकेदारों और स्मारक घोटाले से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापे मारे। सूत्रों के मुताबिक लखनऊ समेत यूपी के कई शहरों और राज्यों में ईडी का छापेमारी की गई है। फर्मोंं और
निर्माण निगम इंजीनियरों समेत कईयों के ठिकाने खंगाले जा रहे हैं।
2007 से 2012 तक बने थे स्मारक
वर्ष 2007 से लेकर 2012 के बीच लखनऊ और नोएडा में पार्क और स्मारक बनवाए गए थे। लोक निर्माण विभाग, नोएडा प्राधिकरण औरपीडब्ल्यूडी ने इनका निर्माण करवाया था। उस समय लोकायुक्त जांच में करीब 1400 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई थी। अखिलेश सरकार में इस मामले में विजिलेंस ने 1 जनवरी 2014 को गोमती
नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। उस समय आईपीसी की धारा 120 बी और 409 के तहत केस दर्ज किया गया था। नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी।
अधा दर्जन इंसपेक्टरों की एसआईटी टीम
आधा दर्जन विजीलेंस इंस्पेक्टरों की एक एसआईटी टीम का भी गठन किया गया था। बताया जा रहा है कि विजिलेंस जांच की पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद ही ईडी ने कार्रवाई शुरू की है। पहले से ही जताया जा रहा था संदेह स्मारक घोटाले को लेकर बीएसपी सुप्रीमो पर शिकंजा कसने का संदेह पहले ही जताया जा रहा था। सूत्रों ने ऐसे संकेत दिए हैं कि सोमवार से जांच फिर से तेजी पकड़ सकती है।
क्या है स्मारक घोटाला
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 2007 से 2012 तक के अपने कार्यकाल में लखनऊ-नोएडा में अम्बेडकर स्मारक परिवर्तन स्थल, मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल, गौतमबुद्ध उपवन, ईको पार्क, नोएडा का अम्बेडकर पार्क, रमाबाई अ बेडकर मैदान और स्मृति उपवन समेत पत्थरों के कई स्मारक तैयार कराए थे। इन स्मारकों पर सरकारी खजाने से 41 अरब 48
करोड़ रूपये खर्च किए गए थे।
2012 में सत्ता परिवर्तन के बाद इस मामले की जांच यूपी के तत्कालीन लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा को सौंपी गई थी। लोकायुक्त ने 20 मई 2013 को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में 14 अरब 10 करोड़ 83 लाख 43 हजार का घोटाला होने की बात कही थी।
स्कूटर मोटर साइकिल के नम्बर पर करोड़ों के भुगतान
रिपोर्ट में कहा गया था कि सबसे बड़ा घोटाला पत्थर ढोने और उन्हें तराशने के काम में हुआ। जांच में कई ट्रकों के नंबर दो पहिया वाहनों के निकले थे। इसके अलावा फर्जी कंपनियों के नाम पर भी करोड़ों रूपये डकारे गए थे।
ये भी फंस सकते हैं इस जांच में
मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा के साथ ही कई विधायक और तमाम विभागों के बड़े अफसर शामिल थे।
चुनाव में होगा भ्रष्टाचार मुद्दा
बीते दिनों हुई सपा बसपा की संयुक्त प्रेसवार्ता में मायावती ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया था कि उन्हें किस तरह फंसाने की साजिश की जा रही है। खनन घोटाले की जांच का जिक्र भी मायावती ने इसी क्रम में किया था। जानकारों का दावा है कि सरकार अगले लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार मुद्दा बनाएगी इसलिए इन दलों के नेताओं को भ्रष्टाचार में फंसाने की चाल चली जा रही है।
Published on:
03 Feb 2019 03:10 pm
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