
केन्द्र सरकार ने चीनी मिलों को एथेनॉल बनाने में गन्ने के रस और बी. हैवी शीरा दोनों के उपयोग की मंजूरी दे दी है।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को चीनी मिलों को इथेनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस और बी- हैवी गुड़ दोनों का उपयोग करने की अनुमति दी है। पेराई सत्र 2023-24 के लिए चीनी के डायवर्जन को 17 लाख टन तक सीमित कर दिया गया है। इससे गन्ना किसानों को भी बड़ा फायदा होगा। ये मंजूरी केंद्र सरकार ने अपने एक हफ्ते पुराने फैसले को पलटते हुए दे दी है। चीनी मीलों के मालिक इसकी मांग कर रहे थे।
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, "पेराई सत्र 2023- 24 (नवंबर-अक्टूबर) में इथेनॉल बनाने के लिए 17 लाख टन चीनी की कुल सीमा के अंदर गन्ने के रस और बी- हैवी दोनों का उपयोग करने के लिए चीनी मिलों को छूट दी गई है।
इन मिलों में बनते हैं इथेनॉल
प्रदेश की जिन 12 निजी चीनी मिलों में गन्ने के रस से एथानॉल बनता रहा है वह हैं- लखीमपुर खीरी की ऐरा, बहराइच की पारले बिस्कुल, बलरामपुर, गोण्डा की मेजापुर, बिजनौर की धामपुर, सम्भल की असमौली, लखीमपुर खीरी की अजबपुर, सीतापुर की हरगाँव, बिजनौर की स्यौहारा, सीतापुर की जवाहरपुर, शाहजहांपुर की निगोही, सीतापुर की रामगढ़, बिजनौर की बुंदकी और बरेली की फरीदपुर।
प्रदेश के निजी चीनी मिलों के संगठन यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपी इस्मा) के महासचिव दीपक गुप्तारा ने कहा कि हम लोग केन्द्र सरकार के ताजा फैसले की समीक्षा कर रहे हैं। चीनी मिलों को चीनी बनाने से ज्यादा फायदा एथानॉल के उत्पादन में रहता है और एथानॉल की बिक्री से होने किसानों के गन्ने का दाम जल्दी मिलेगा।
Updated on:
18 Dec 2023 12:51 pm
Published on:
18 Dec 2023 12:43 pm
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
