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सोमवार को खास योग, इन मंत्रों से दूर करें अपने सारे कष्ट व संकट, मंत्रों के जप से बनने लगेंगे बिगड़े काम

हमारे जीवन में बहुत समस्याएं आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या, ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी) आती है। उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों।

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लखनऊ

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Prashant Mishra

Mar 20, 2022

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लखनऊ. 21 मार्च 2022 सोमवार को संकष्ट चतुर्थी है शिव पुराण में लिखा है कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (पूनम के बाद की) के दिन सुबह में गणपति जी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें। ऐसा करने से सभी संकट कट जाते हैं और बिगड़े काम बनने लगते हैं। इस मौके पर अगर प्रभावी मंत्रों का जाप किया जाए तो जाप का निश्चित फायदा होता है। ऐसे में पूजा के साथ साथ इन मंत्रों का जप भी करना चाहिए।

ये हैं मंत्र

ॐ गं गणपते नमः

ॐ सोमाय नमः

चतुर्थी तिथि विशेष

-चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश जी हैं

-हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।

-पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।

-शिवपुराण के अनुसार महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा

-अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करने वाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देने वाली है।

कष्टों के लिए करें उपाय

हमारे जीवन में बहुत समस्याएं आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या, ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी) आती है। उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों।

इन मंत्रों का करें जाप

ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे

ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये

ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें

ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं। भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी। आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है।

ॐ अविघ्नाय नम:

ॐ विघ्नकरत्र्येय नम: