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कांग्रेस ने लोकतंत्र की संवैधानिक आत्मा का कत्ल किया था- नकवी

locationलखनऊPublished: Jun 26, 2018 04:44:16 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज मंगलवार को कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।

Mukhtar

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लखनऊ. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज मंगलवार को कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। नकवी ने 1975 में इंदिरा गांधी शासन में देशभर में लगाई गई इमेरजेंसी का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला और कहा इससे लोकतंत्र की सवैधानिक आत्मा का कत्ल किया गया था।
राजधानी स्थित विश्वेश्वरैया सभागार में आयोजित लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, विधि मंत्री बृजेश पाठक और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय मौजूद थे। इस दौरान नकवी ने कहा कि तानाशाही, सामंती सोच और बर्बरता लोगों को कांग्रेस की मानसिकता की याद दिलाती है। कांग्रेस आज भी उसी मानसिकता को लेकर आगे चल रही है। देश में 3 दफा आपातकाल लगाया गया। पहले 1961, 1971 में युद्ध के कारण, तो तीसरी बार 1975 में इंदिरा गाधी द्वारा देश में इमरजेंसी लगाई गई। लोकतंत्र की सवैधानिक आत्मा का कत्ल किया गया था। आज उस दौर के बारे में लोगों को जानना बेहद जरूरी है।
उन्होंने आगे कहा कि आपातकाल अब पाठ्य पुस्तकों का हिस्सा बनना चाहिए। जिन्होंने आपातकाल की बर्बरता को देखा नहीं है, उन्हें यह जरूर जानना होगा कि तानाशाही होती क्या है, बर्बरता होती क्या है, जुल्म क्या होता है। कांग्रेस देश के लोगों के लिए जुल्म करने की हिस्ट्रीशीटर पार्टी है। लोकतंत्र सेनानियों के लिए सरकार और भी तोहफे देगी।
मैं आपातकाल की परिस्थितियों का गवाह हूं-लालजी टंडन-

इसी दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता लालजी टंडन ने कहा कि आपातकाल की परिस्थितियों का मैं गवाह हूं। आजादी की लड़ाई में यह सबको पता था कि हम सभी को जेल जाना है, लेकिन इंदिरा गांधी के फैसले से न जाने कितने ही परिवार अनजाने में जेल भेजे गए और बर्बाद हो गए।
मैं भी लोकतंत्र सेनानी हूं- महेंद्रनाथ पांडे

इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पाडेय ने कहा कि मैं भी लोकतंत्र सेनानी हूं। संविधान ने जिन कारणों से आपातकाल की व्यवस्था की गई थी, उससे पूरे राजनीतिक स्वार्थ के लिए इमरजेंसी लगाई गई थी। वैसे तो जनता के बीच समीकरणों की बातें होती हैं, लेकिन उस समय जनता के अत्याचार के खिलाफ बातें होती थीं। दुखद पक्ष है कि सत्ता पर कायम रखने की ललक ने राजनीति को नीचे गिरा दिया। देश के लोक कल्याण के लिए हम पीएम मोदी के युग में आगे बढ़ रहे हैं। इंदिरा गाधी के एक फैसले से न जाने कितने ही परिवार हुए बर्बाद।
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