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अतीक अहमद पर हमेशा मेहरबान रहे मुलायम सिंह, सपा को अतीक ने पहुंचाया था ये फायदा

Atiq Ahmed : समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और अतीक के संबंध बहुत गहरे ‌थे। पूर्व सपा अध्यक्ष अतीक पर भरोसा भी करते थे। अतीक ने भी सपा को बड़े बड़े फायदे पहुंचाए।

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लखनऊ

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Vishnu Bajpai

Apr 19, 2023

Mulayam Singh was always kind to Atiq Ahmed

Atiq Ahmed : समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और अतीक के संबंध बहुत गहरे ‌थे। पूर्व सपा अध्यक्ष अतीक पर भरोसा भी करते थे। अतीक ने भी सपा को बड़े बड़े फायदे पहुंचाए। 2002 के विधानसभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं आया था। 143 सीटें जीतकर सपा सबसे बड़ी पार्टी बनी थी लेकिन चुनाव बाद गठबंधन कर बीजेपी और बसपा ने सरकार बना ली थी। एक साल बाद अतीक ने सपा की मदद की थी।

भरोसे के पीछे थी यह वजह
यह बात सही है कि अतीक अहमद और नेताजी के बीच मजबूत रिश्ता था। नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव भी अतीक अहमद पर खासे मेहरबान थे। इस मेहरबानी के पीछे न केवल मुस्लिम-यादव का राजनीतिक समीकरण छिपा था, बल्कि अतीक अहमद का वह त्याग भी छिपा था, जो उसने साल 2003 में किया था।

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नेताजी ने पहली बार भेजा था संसद
अतीक अहमद के इस उपकार को नेताजी ने अगले ही साल फूलपुर से अतीक अहमद को लोकसभा चुनाव में उतारकर पूरा कर लिया। अतीक अहमद इससे पहले लगातार पांच बार विधायक चुने गए थे। 2004 में वह पहली बार संसद पहुंचे थे। हालांकि दिसंबर 2007 में जब राज्य में मायावती की सरकार आई और राजू पाल मर्डर केस में शिकंजा कसा तो सपा ने अतीक अहमद को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

कभी नहीं पनपीं सियासी दूरियां
नेताजी और अतीक अहमद के बीच फिर भी सियासी दूरियां कभी नहीं पनपीं। अतीक अहमद अक्सर अपनी चुनावी सभाओं में कहा करता था कि नेताजी की ही वजह से उत्तर प्रदेश के मुसलमान शान से सीना तानकर चला करते हैं, जबकि बसपा औप बीजेपी की सरकार में साम्प्रदायिक दंगे होते हैं। 2002 के विधानसभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं आया था। 143 सीटें जीतकर सपा सबसे बड़ी पार्टी बनी थी लेकिन चुनाव बाद गठबंधन कर बीजेपी और बसपा ने सरकार बना ली थी।

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अतीक ने अपनी पार्टी का सपा में किया था विलय
98 सीटों वाली बसपा की नेता मायावती तब सीएम बनी थी और 88 सीट वाली बीजेपी ने उनका समर्थन किया था। अतीक अहमद ने मुलायम सिंह की सरकार को मजबूती देने के लिए 3 अक्टूबर 2003 को अपनी पार्टी 'अपना दल' का विलय सपा में कर दिया था। उस वक्त अतीक अहमद समेत उसकी पार्टी के तीन विधायक थे। इससे समाजवादी पार्टी के विधायकों की संख्या 403 सदस्यीय विधानसभा में बढ़कर 190 हो गई थी।

सरकार बनाने में की थी मदद
उसी साल अगस्त में मुलायम सिंह यादव ने तीसरी और आखिरी बार उत्तर प्रदेश की कमान संभाली थी। इससे पहले बीजेपी-बसपा गठबंधन की मायावती की सरकार थी। अगस्त में बीजेपी ने मतभेद उभरने के बाद मायावती की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, तब मायावती के कुछ विधायकों ने विद्रोह कर दिया था और मुलायम सिंह की सरकार को समर्थन दिया था। कुछ निर्दलीय विधायकों और अतीक अहमद ने 'अपना दल' का सपा में विलय करा दिया था।

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पूर्व डीजीपी ने ट्वीट की थी फोटो
डेढ़ साल पहले जब यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने माफिया डॉन से राजनेता बने पूर्व सपा सांसद अतीक अहमद के ठिकानों पर बुलडोजर चलवाना शुरू किया था और अतीक को अहमदाबाद की जेल भेजा गया था, तब बीजेपी के राज्यसभा सांसद और यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने ट्विटर पर एक फोटो पोस्ट कर दावा किया था कि मुलायम सिंह यादव अतीक के कुत्ते से हाथ मिलाने में फक्र महसूस करते थे। इस पर सियासी आरोप-प्रत्यारोप भी हुए थे।