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मायावती के गठबंधन तोड़ने के बाद मुलायम सिंह यादव ने बुलाई बैठक, इस पर शिवपाल ने दिया यह बयान

यूपी विधानसभा उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के अकेले लड़ने के ऐलान के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की स्थिति 'न घर के रहे न घाट की' वाली हो गई है।

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लखनऊ

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Abhishek Gupta

Jun 05, 2019

Mulayam

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लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के यूपी विधानसभा उपचुनाव में अकेले लड़ने के ऐलान के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव न घर के रहे हैं न घाट हैं। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने इस बीच पार्टी नेताओं को संभल देने और सभी को एकजुट कर उपचुनाव के लिए रणनीति बनाने का बीड़ा उठाया है। इसके मद्दनेजर मुलायम सिंह यादव ने इटावा के सैफई में एक बैठक बुलाई है जिसमें पार्टी से अलग हुए शिवपाल सिंह यादव को भी आमंत्रित किया गया है। हालांकि शिवपाल की प्रसपा का सपा की विलय की संभावना कम लग रही है, जैसा कि इस बैठक में उम्मीद की जा रही है। हालांकि गुरुवार को शिवपाल ने इस बैठक को लगाई जा रही कयासों पर बड़ा बयान दिया है। जिससे उनके पार्टी में शामिल होने की संभावनाओं को और प्रबल बना दिया है।

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पार्टी सूत्रों की मानें तो सपा संरक्षक बेटे अखिलेश से नाखुश चल रहे हैं। चुनाव नतीजे के ठीक बाद सपा कार्यालय में मुलायम सिंह यादव ने प्रत्यक्ष रूप से अखिलेश यादव के बसपा से गठबंधन के फैसले पर नाराजगी जाहिर की थी। साथ ही वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किए जाने पर उन्होंने उनकी क्लास लगाई थी। वहीं मंगलवार को मायातवी के तेवर देख मुलायम और नाराज हैं।

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शिवपाल ने दिया बड़ा बयान-

गुरुवार को शिवपाल सिंह यादव इटावा के चौगुर्जी स्थित अपने आवास पर समर्थकों से बात कर उनकी समस्याएं सुन रहे थे। वहां से बाहर निकलने के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में नेताजी द्वारा बुलाई गई बैठक के सवाल पर कहा कि पहले कोई वार्ता हो जाए, उसके बाद ही वह कोई बात करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि सपा से गठबंधन व अन्य मामलों पर मैं अभी टिप्पणी नहीं करेंगे।

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यह है बैठक बुलाने का मकसद-
सूत्रों के मुताबिक मुलायम सिंह यादव ने परिवार के सदस्यों की जो बैठक बुलाई है, उसका मकसद सभी को एकजुट करना है। खासतौर से शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव, जो यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ही एक-दूसरे से मुंह फेर चुके हैं। रामगोपाल यादव के इस बैठक में शामिल होने पर संश्य है। हालांकि सपा और फिरोजाबाद में बेटे अक्षय यादव के खराब प्रदर्शन के बाद वे सपा संरक्षक की बात मान सकते हैं। मुलायम यह भी चाहते हैं कि शिवपाल अपनी पार्टी प्रसपा लोहिया का सपा में विलय कर दे, हालांकि प्रसपा के एक प्रवक्ता ने इन संभावनाओं को दरकिनार कर दिया है। प्रवक्ता का कहना है कि प्रसपा अब 2022 चुनाव के लिए तैयारी में जुट गई है और पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि अंतिम फैसला शिवपाल का ही होगा, लेकिन उनकी पार्टी प्रसपा (लोहिया) का भी प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में बेहद खराब रहा है। उनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल खड़े हो रहा है। ऐसे में मुमकिन है कि वे भी नेताजी की राय को मान लें।

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क्या शिवपाल-अखिलेश मिलाएंगे हाथ-

चाचा-भतीजे को साथ लाना मुलायम सिंह यादव के लिए एक बड़ी चुनौती है। अगर वे सपा की कमान अपने हाथों में लेते हैं तो राजनीतिक मजबूरियां ही सही, लेकिन अखिलेश-शिवपाल हाथ मिला सकते हैं। लेकिन यह भी देखना दिलचस्प होगा कि क्या शिवपाल पार्टी में विलय करेंगे या सपा को बाहरी समर्थन देंगे।