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लखनऊ. कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वापस करने की मांग की है। दारुल उलूम फिरंगी महली के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि हम कृषि कानून वापसी का स्वागत करते हैं। कृषि कानूनों की तरह सीएए-एनआरसी भी वापस होने चाहिए। ये कानून मुल्क के संविधान के दस्तूर के खिलाफ है। वहीं, जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने कहा कि कृषि कानून वापसी के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि लोकतंत्र और लोगों की शक्ति सर्वोपरि है। जो लोग सोचते हैं कि सरकार और संसद अधिक शक्तिशाली हैं, वे गलत हैं। जनता ने एक बार फिर किसानों के रूप में अपनी ताकत का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन की सफलता यह भी सीख देती है कि किसी भी जन आंदोलन को जबरदस्ती कुचला नहीं जा सकता है।
मौलाना मदनी ने कहा कि किसानों को इतना मजबूत आंदोलन चलाने का रास्ता सीएए के खिलाफ आंदोलन से मिला। सीएए के खिलाफ आंदोलन में बुजुर्ग महिलाएं भी दिन-रात सड़कों पर बैठी रहीं। आंदोलन में शामिल लोगों पर गंभीर मुकदमे लगाये गये, लेकिन आंदोलन को कुचला नहीं जा सका। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमारे देश का संविधान लोकतांत्रिक है। इसलिए अब उन्हें कृषि कानूनों की तरह सीएए कानून को भी वापस लिया जाना चाहिए।
देश भर में हुए थे प्रदर्शन
सीएए-एनआरसी के खिलाफ लखनऊ सहित देश भर में मुस्लिमों ने प्रदर्शन किया था। इस दौरान कई जगह सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। उत्तर प्रदेश सहित कई जिलों में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों पर मुकदमे दर्ज हुए थे। योगी सरकार ने उपद्रवियों से संपत्ति के नुकसान की वसूली भी की। कइयों पर अभी भी केस चल रहे हैं।
Updated on:
20 Nov 2021 04:30 pm
Published on:
20 Nov 2021 04:27 pm
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