
20 साल बाद इस नागपंचमी पर होगा कुछ ऐसा जो बदल देगा आपकी जिंदगी, इन टोटकों के साथ इस बार नाग देवता की ऐेसे करें पूजा होगी सभी मनोकामना पूरी
लखनऊ. बीस साल बाद ऐसा शुभ संयोग बना है जब सावन की तीसरा सोमवार (Third Somway) और नागपंचमी (Nagpanchami)एक ही दिन पड़ रहा है। यह सभी के लिये सबसे शुभ दिन होगा। इसी दिन शुक्ल पक्ष (Shukl Paksh) की पांचवीं तिथि (Panchvi Tithi) भी है। राजधानी लखनऊ के हनुमात सेतु के पुजारी आचार्य रामाकृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि सावन माह (Sawan Month) के शुक्ल पक्ष (Shukl Paksh) की पांचवीं तिथि को नागपंचमी मनाया जाता है। यह तिथि सोमवार को है। सावन महीन भगवान शिव पसंदीदा महीना माना जाता है और सावन माह में सोमवार दिन शिव के लिए विशेष शुभ है। सोमवार को सावन माह की शुक्ल पक्ष की पांचवीं तिथि अर्थात नागपंचमी भी है। सर्प भी शिव को अत्यधिक प्रिय हैं। सावन, शिव, सोमवार, सर्प, नागपंचमी, शुक्ल पक्ष, पांचवीं तिथि यह सब एक ही दिन। अद्भुत और दुर्लभ संयोग। इन तीनों का एक साथ पड़ना आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह सुखद और दुर्लभ संयोग माना जा रहा है। ऐसा संयोग 20 वर्ष बाद प्राप्त हो रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इस वर्ष सावन के महीने में भोले बाबा की भक्तों पर असीम कृपा है। शास्त्र के अनुसार यह दुर्लभ संयोग हर मनोकामना पूर्ण कराएगा। बस श्रद्धालु इस दिन को अपने दिन आध्यत्मिक दिन बना ले।
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त (Nag Panchami Shubh Muhurt)
- 4 अगस्त को पंचमी तिथि शाम 6.49 बजे शुरू होगी।
- 5 अगस्त के दिन नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त सुबह 5:49 से 8:28 के बीच पड़ रहा है। जबकि समाप्ति तिथि इसी दिन दोपहर 3:54 तक रहेगी।
इन मंत्रों का करें जाप (Mantra for Nagpanchami)
ॐ भुजंगेशाय विद्महे,
सर्पराजाय धीमहि,
तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।
अनंत वासुकी शेषं पद्मनाभं च मंगलम्
शंखपालं ध्रतराष्ट्रकंच तक्षकं कालियं तथा।
एतानी नव नामानि नागानां च महात्मना
सायंकाले पठे नित्यं प्रातःकाले विशेषतः
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।
नागपंचमी के टोटके (Nag Panchami Ke Totke)
1. नागपंचमी के दिन नाग देवता की मूर्ति के साथ एक फिटकरी का टुकड़ा रख दें। यह टोटका करने से आपकी मनोवांच्छित इच्छापूर्ण होगी।
2. नागपंचमी के दिन सांप की बांबी में दूध अवश्य चढ़ाएं। यह टोटका करने से आपकी सभी परेशानियां समाप्त हो जाएगी।
3. नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए एक किलों कोयले और तीन नारियल लें और उन्हें बहते जल में प्रवाहित कर दें। यह टोटका आपको कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी।
4.नागपंचमी के दिन सुगंधित फूलों और चंदन से नाग की पूजा अवश्य करें।
5.नागपंचमी के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करते हुए चांदी के नाग और नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर चढ़ाएं। ऐसा करने से आपको सर्प दोष से मुक्ति मिलेगी।
6.नागपचमी के दिन सपेरे को पैसे देकर सांप को जंगल में आजाद कराएं।
7. नागपंचमी के दिन लाल सूती का कपड़ा लेकर उसमें नारियल लपेट कर बहते जल में प्रवाहित करने से सभी कामों में सफलता प्राप्त होती है।
8.नागपंचमी के दिन भगवान शिव का दुध से अभिषेक करना चाहिए और उसी के बाद ही सांप को भी दूध पिलाना चाहिए।
9. नागपंचमी के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे मिट्टी के बर्तन में दूध में रखें। यह टोटका आपको न केवल नाग देवता का आर्शीवाद दिलाएगा बल्कि आपको शनिदेव की पीड़ा से मुक्ति मिलेगी।
10. नागपंचमी के दिन काल सर्प दोष (Kalsarp dosh) वाले व्यक्ति को सांप की आकृति की अंगूठी पहननी चाहिए। ऐसा करने से आपको लाभ प्राप्त होगा।
नाग पंचमी पूजन विधि (Nag Panchami worship method)
नाग पंचमी की पूजा करने के लिये प्रात: घर की सफाई करने के बाद पूजन में भोग लगाने के लिये सैंवई-चावल आदि बनायें। देश के कुछ हिस्सों में नागपंचमी के एक दिन पहले खाना बनाकर रख लिया जाता है। और नागपंचमी के दिन बासी खाना खाया जाता है। पूरे श्रवन मास में विशेषकर नागपंचमी के दिन, धरती खोदना या धरती में हल, नींव खोदना मना होता है। पूजा के वक्त नाग देवता का आह्वान कर उसे बैठने के लिये आसन देना चाहिए। उसके पश्चात जल, पुष्प और चंदन का अर्ध्य देना चाहिए। नाग प्रतिमा का दूध, दही, घृ्त, मधु ओर शर्कर का पंचामृ्त बनाकर स्नान करना चाहिए। उसके पश्चात प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल चढाना चाहिए। इसके पश्चात वस्त्र सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बिलपत्र, आभूषण और पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप दीप, नैवेद्ध, ऋतु फल, तांबूल चढाने के लिये आरती करनी चाहिए। इस प्रकार पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। इस दिन नागदेव की पूजा सुगंधित पुष्प, चंदन से करनी चाहिए। क्योकि नागदेव को सुंगन्ध विशेष प्रिय होती है।
नाग पूजा का महत्व
कहा जाता है कि एक बार मातृ-शाप से नागलोक जलने लगा। इस दाहपीड़ा की निवृत्ति के लिए नाग पंचमी को गाय के दूध से स्नान कराया गया। दुग्ध स्नान नागों को शीतलता प्रदान करता है, वहीं भक्तों को सर्पभय से मुक्ति भी देता है।
Published on:
02 Aug 2019 08:12 am
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