राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की रिपोर्ट, बच्चों के यौन शोषण की 354 शिकायतें, खुद बच्चों ने बयां किया है दर्द
- पॉक्सो ई-बॉक्स में यूपी की बेटियों ने की सबसे अधिक शिकायतें
- बच्चों के यौन शोषण की 354 शिकायतें

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. बाल यौन शोषण अपराध देशभर में गंभीर अपराध माना जाता है। हाल ही में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पॉक्सो ई बॉक्स में यौन शोषण के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तर प्रदेश राज्य से की गई हैं। आंकड़ों की मानें तो 2019 में बाल यौन हिंसा के 24,000 मामले दर्ज किए गए। एनसीपीसीआर के पॉक्सो ई बॉक्स में पिछले तीन साल में यौन शोषण की खुद बच्चों के द्वारा की गई 354 शिकायतें मिली हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2017-18 से लेकर जनवरी 2021 तक ये शिकायतें आई हैं। इनमें बच्चों ने यौन शोषण, यौन हिंसा और पोर्नोग्राफी को लेकर शिकायतें दर्ज कराई हैं। इनमें से एनसीपीसीआर की ओर से 140 शिकायतों का निदान किया गया है। सबसे ज्यादा शिकायतें कोरोना काल में की गई है।
सबसे ज्यादा शिकायतें यूपी से
बाल यौन शोषण को लेकर की गई शिकायतों में सबसे ज्यादा 86 शिकायतें उत्तर प्रदेश से आई हैं। इनमें से 37 शिकायतें कोरोना काल के दौरान आई हैं। जबकि 2019 में 26 बच्चों ने अपने साथ हुए यौन शोषण को लेकर शिकायत दर्ज कराई है। दूसरे नंबर पर दिल्ली है। यहां से 39 बच्चों ने शिकायत दर्ज कराई है। जबकि कोरोना काल में दिल्ली से 13 बाल यौन शोषण की शिकायतें आई थीं। तीसरे नंबर पर बिहार है जहां से कोरोना काल में 12 व कुल शिकायतें 33 आई हैं। इसके अलावा पॉक्सो ई बॉक्स में 28 शिकायतें महाराष्ट्र से और 20 यौन शोषण की शिकायतें हरियाणा से मिली हैं।
यौन उत्पीड़न में मृत्युदंड
बाल यौन शोषण के पहलुओं पर उचित ढंग से निपटने के लिए पॉक्सो कानून में बच्चों के साथ यौन शोषण के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा बच्चों के प्रति यौन अपराधों को लेकर नियमों को सख्त किया गया है।बाल यौन उत्पीड़न रोक (संशोधन) विधेयक (पोक्सो एक्ट) के नए प्रावधान के तहत बच्चों का यौन उत्पीड़न करने वाले दोषियों को उम्रकैद के साथ मौत की सजा का प्रावधान है। कानून में बच्चों का यौन उत्पीड़न करने के उद्देश्य से उन्हें दवा या रसायन आदि देकर जल्दी युवा करने को गैर जमानती अपराध बनाया गया है, जिसमें पांच साल तक की कैद का प्रावधान है। कानून में बच्चों का यौन उत्पीड़न करने के उद्देश्य से उन्हें दवा या रसायन आदि देकर जल्दी युवा करने को गैर जमानती अपराध बनाया गया है, जिसमें पांच साल तक की कैद का प्रावधान है।
क्या है पॉक्सो एक्ट
यौन अपराधों में लिप्त बच्चों के संरक्षण के लिए 2012 में पोक्सो एक्ट बनाया गया था। इस कानून के जरिए बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध व छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह कानून बच्चों को यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई हैं।
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