मेजर ध्यानचंद के 296, प्रेमगंज, झांसी स्थित आवास में सहेजी गई तमाम बेशकीमतों चीजों में उनकी एक निजी डायरी भी रखी है। इस छोटी सी डायरी में ध्यानचंद के लिखे तमाम शेर दर्ज हैं, जिन्होंने उन्होंने उस वक्त की मशहूर अभिनेत्रियों को समर्पित किया है। द्ददा की जादुई डायरी को खोजने का श्रेय उनकी लेखिका पुत्रवधू मीना उमेश ध्यानचंद को जाता है। पहली बार जब उन्हें दद्दा की डायरी मिली, जिसमें लिखी शायरी पढ़कर वह आश्चर्यचकित रह गई थीं। तबसे उन्होंने इसे सहेज कर रखा है।
जरीना वहाब के लिए
मेजर ध्यानचंद ने पहला शेर खूबसूरत बोलती आंखों वाली अभिनेत्री जरीना वहाब को समर्पित किया है। इसमें उन्होंने लिखा है-
बेचैन हो रही हैं तरसी हुई निगाहें
देखे हुए हम किसी को हम किसी को बहुत दिन गुजरे।
मेजर ध्यानचंद ने पहला शेर खूबसूरत बोलती आंखों वाली अभिनेत्री जरीना वहाब को समर्पित किया है। इसमें उन्होंने लिखा है-
बेचैन हो रही हैं तरसी हुई निगाहें
देखे हुए हम किसी को हम किसी को बहुत दिन गुजरे।
शशिकपूर और अभिनेत्री रेखा के लिए
मुझे इसका गम नहीं है कि बदल गया जमाना
मेरी जिंदगी तुमसे है कहीं तुम बदल न जाना। हेमामालिनी के लिए
नाज था जिस पर मोहब्बत में साथ देंगे
गुजरे जब जमाने से तो अजनबी से थे।
मुझे इसका गम नहीं है कि बदल गया जमाना
मेरी जिंदगी तुमसे है कहीं तुम बदल न जाना। हेमामालिनी के लिए
नाज था जिस पर मोहब्बत में साथ देंगे
गुजरे जब जमाने से तो अजनबी से थे।
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