300 बीबियों वाले नवाब जो खुद अपनी जूतियां नहीं पहन सके और अंग्रेजों के हत्थे चढ़ गए
लखनऊPublished: Feb 07, 2022 04:32:41 pm
अवध में एक कहावत है। ...ज्यादा नवाब न बनो। अमां यार नवाबियत ना झाड़ो। दरअसल, यह कहावत उस किस्से जो जुड़ी है जो नवाब वाजिद अली शाह के बारे में मशहूर है। कहा जाता है 1857 की गदर के समय जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्जे के लिए लखनऊ के महल पर हमला किया तब नवाब अपने महल में ही थे।


300 बीबियों वाले नवाब जो खुद अपनी जूतियां नहीं पहन सके और अंग्रेजों के हत्थे चढ़ गए
आज 7 फरवरी है। इस दिन का अवध के इतिहास से गहरा नाता है। 7 फरवरी 1856 को ब्रिटिश सरकार ने एक डिक्लेरेशन के जरिए अवध को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह को कलकत्ता के मटियाबुर्ज के कारावास में भेज दिया गया। इसके बाद वाजिद अली शाह की बेगमहजरत महल ने स्वाधीनता की जंग लड़ी। चिनहट और दिलकुशा में भी उन्होंने अंग्रेजों को एक बार हराया भी। अंतत: बेगम हजरत महल को भी नेपाल में शरण लेनी पड़ी और यहीं 1879 में उनकी मौत हो गई। कहा जाता है वाजिद अली शाह की 300 बीबियां थीं। इनमें से कुछ ने बेगम हजरत महल के साथ जंग में भाग लिया।