
12 करोड़ की कोठी धर्मांतरण की बुनियाद! | Image Source - Social Media
Neetu mansion worth Rs 12 crore is basis for conversion: उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण गिरोह का जाल कितना गहरा और प्रभावशाली था, इसका खुलासा अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है। इस जाल की परतें तब खुलीं जब एटीएस की जांच में उतरौला कस्बे में बनी एक आलीशान कोठी पर नजर गई, जिसे बनवाने का जिम्मा कंस्ट्रक्शन कंपनी "अपना घर" के प्रोपराइटर बब्बू चौधरी उर्फ वसीउद्दीन को सौंपा गया था। अब इसी निर्माण कार्य ने बब्बू चौधरी को जांच के घेरे में ला खड़ा किया है।
जांच में सामने आया कि छांगुर बाबा ने बलरामपुर जिले के मधपुर में करीब सात बीघा जमीन खरीदी थी। खास बात यह रही कि इस जमीन का एक हिस्सा नीतू के नाम पर भी दर्ज है। छांगुर ने इस पूरी जमीन को दो भागों में बांटकर एक आलीशान कोठी का निर्माण कराया, जिसकी जिम्मेदारी उसने उतरौला के स्थानीय ठेकेदार बब्बू चौधरी को सौंपी।
एटीएस की रिपोर्ट के अनुसार, कोठी के निर्माण पर कुल 12 करोड़ रुपये खर्च हुए। बब्बू चौधरी ने बयान में बताया कि इसमें से 5.70 करोड़ रुपये का भुगतान छांगुर के कहने पर किया गया, जबकि शेष 6.30 करोड़ रुपये के भुगतान को लेकर विवाद खड़ा हो गया। ठेकेदार का आरोप है कि छांगुर ने उसके रुपये हड़प लिए। यही वजह है कि अब बब्बू चौधरी भी एटीएस की जांच के घेरे में है।
एटीएस और अन्य जांच एजेंसियां अब यह जानने में जुटी हैं कि कोठी के निर्माण का सौदा कितना में हुआ था और भुगतान किन स्रोतों से हुआ। आशंका है कि यह रकम अवैध धर्मांतरण से जुटाई गई थी। ऐसे में बब्बू चौधरी पर भी अवैध लेन-देन और आपराधिक गठजोड़ की जांच का खतरा मंडरा रहा है।
बताया जा रहा है कि छांगुर ने वर्ष 2023 में एक ट्रस्ट बनाया था, जिसमें वह स्वयं संरक्षक था और नवीन को अध्यक्ष बनाया गया। इसके अलावा, उतरौला निवासी मोहम्मद अहमद भी ट्रस्ट में शामिल था। पुणे में हुए एक संदिग्ध सौदे में भी मोहम्मद अहमद का नाम सामने आया है। भले ही अब वह छांगुर से दूरी बनाने का दावा कर रहा है, लेकिन जांच एजेंसियों के लिए यह संबंध अभी भी संदिग्ध हैं।
जैसे ही छांगुर के खिलाफ जांच तेज हुई, उसके करीबी लोग धीरे-धीरे किनारा करते नजर आ रहे हैं। बब्बू चौधरी जैसे लोगों के खिलाफ तो सबूत हैं, लेकिन कई स्थानीय लोग भी हैं जो पहले उसके बेहद करीबी माने जाते थे। अब वे खुद को अलग दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। जांच एजेंसियां धीरे-धीरे इन सभी पर नजर बनाए हुए हैं।
छांगुर के भतीजे सबरोज और साले के बेटे शहाबुद्दीन का नाम भी इस अवैध गतिविधि से जुड़ा है। राजस्व विभाग की जांच में सामने आया कि इन दोनों ने रेहरामाफी गांव में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर कमरों का निर्माण कराया। अब तहसील प्रशासन इस पर सख्ती से कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, छांगुर ने अवैध धर्मांतरण से जो कमाई की, उसका बड़ा हिस्सा सबरोज और शहाबुद्दीन को भी लाभ पहुंचाने में लगाया गया। दोनों ने आजमगढ़ में रशीद नामक व्यक्ति के साथ मिलकर धर्मांतरण का रैकेट चलाया और मोटी कमाई की। अब राजस्व टीम की जांच में यह सामने आया है कि उन्होंने रेहरामाफी में सरकारी जमीन पर निर्माण कार्य करवा लिया है, जिसे जल्द ही गिराया जा सकता है।
Published on:
23 Jul 2025 02:22 pm
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