10 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यूपी बोर्ड परीक्षा को लेकर शासन ने किया बड़ा बदलाव, अब एक केंद्र पर नहीं बैठ सकेंगे 800 से ज्यादा छात्र

- नई गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक छात्र को बैठने के लिए 36 वर्ग फुट क्षेत्रफल का स्थान तय

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Neeraj Patel

Nov 30, 2020

2_1.jpg

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Sarkar) ने 2020-21 के सत्र में होने वाली यूपी बोर्ड परीक्षा (UP Board Exam) को लेकर नई केंद्र निर्धारण नीति जारी कर दी है। इस नीति के अनुसार यूपी बोर्ड की परीक्षा में एक एग्जाम सेंटर (Exam Center) पर 800 से आधिक छात्र नहीं सकेंगे। इसके पहले प्रत्येक परीक्षों केन्द्रों पर 1200 छात्रों को परीक्षा देने की लिमिट थी लेकिन इस बार कोरोना (Corona) के मद्देनजर सरकार ने यह संख्या घटाकर 800 कर दी है। नई नियमावली के मुताबिक गोरखपुर जिले में 20 से अधिक केंद्रों की संख्या का बढ़ना तय माना जा रहा है। पिछले वर्ष बोर्ड परीक्षा के लिए 196 केंद्र बनाए गए थे।

अब स्कूलों को अपनी आधारभूत संसाधनों की सूचनाएं वेबसाइट पर अपलोड करनी होंगी। हर सुविधा के लिए अंक निर्धारित किए गए हैं। इन अंकों से मेरिट बनेगी। मेरिट के आधार पर परीक्षा केंद्र तय होंगे। स्कूल मेरिट में स्थान बनाने के लिए जुट गए हैं। इस बार कोरोना के कारण केंद्र निर्धारण के मानकों में भी परिवर्तन किया गया है। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए दोनों पालियों में आवंटित परीक्षार्थियों की कुल संख्या न्यूनतम 150 और अधिकतम 800 कर दी गई है। अभी तक यह संख्या 300 और 1200 थी।

नई गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक छात्र को बैठने के लिए 36 वर्ग फुट क्षेत्रफल का स्थान तय किया गया है। शासन ने प्रदेश के सभी प्रधानाचार्यों को अपने यहां उपलब्ध संसाधनों का विवरण upmsp.edu.in अपलोड करने का निर्देश दिए हैं। वेबसाइट पर गलत सूचनाएं देने वाले स्कूलों को परीक्षा केंद्र की पात्रता सूची से बाहर कर दिया जाएगा। राजकीय, एडेड और वित्तविहीन विद्यालयों की अलग-अलग मेरिट सूची तैयार होगी। इंटर स्तर के विद्यालयों के लिए 20 अंक और हाईस्कूल स्तर के लिए 10 अंक होंगे। बीते वर्ष का रिजल्ट 90 फीसदी से ज्यादा होने पर 20 अंक मिलेंगे। सूचनाओं को परखने के लिए जिला स्तरीय टीम मौके पर जाकर जांच करेगी। इसकी रिपोर्ट भी वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी।