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11 दिसम्बर को आरक्षण व परम्परागत अधिकारों की मांग को लेकर निषाद संघ धरना प्रदर्शन

17 अतिपिछड़ी जातियों का आरक्षण प्रस्ताव वापस लेकर योगी मोदी सरकार ने किया अन्याय- लौटन राम निषाद

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लखनऊ

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Anil Ankur

Dec 01, 2019

Parliament siege on December 11 on the question of reservation

Parliament siege on December 11 on the question of reservation

लखनऊ । केन्द्र की मोदी व उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को वापस ले लिया गया है। राष्ट्रीय निषाद संघ ने इसे अतिपिछड़ी जातियों के साथ सामाजिक अन्याय करार दिया है। राष्ट्रीय सचिव लौटन राम निषाद ने बताया है कि आगामी 11 दिसम्बर को दारूलशफा कैम्पस से जुलूस निकालकर GPO पार्क में धरना प्रदर्शन किया जायेगा।

प्रदेश सरकार 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल मझवार, तुरैहा, गोड़, खरवार, शिल्पकार, पासी, तड़माली के साथ परिभाषित कर वाल्मीकि व चमार या जाटव की भांति प्रमाण-पत्र जारी करने का शासनादेश जारी करें। उन्होंने बताया कि मझवार तुरैहा, गोड़, बेलदार, शिल्पकार, पासी तड़माली को परिभाषित करने, मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने, नीति निर्धारण कर 1994-95 के शासनादेशानुसार मत्स्य पालन व बालू मौरंग खनन पट्टा देने, मछुआरों को कृषक दुर्घटना बीमा की भांति मछुआ दुर्घटना बीमा व सहायता धनराशि देने की मांग किया है।


निषाद ने बताया कि मल्लाह, मांझी, केवट, निषाद, बिन्द, राजगौड़ आदि मझवार की, गोड़िया, धुरिया, कहार, रायकवार, बाथम, धीमर आदि गोड़ की, धीवर, धीमर, तुरहा, तुराहा आदि तुरैहा की, भर, राजभर पासी तड़माली की व कुम्हार, प्रजापति शिल्पकार की पर्यायवाची व वंशानुगत जाति नाम हैं। भाजपा ने 5 नवम्बर 2012 को दिल्ली के मावलंकर सभागार में देश भर के मछुआरा प्रतिनिधियों के बीच मछुआरा दृष्टिपत्र/फिशरमेन वीजन डाक्यूमेन्ट्स जारी किया था। संकल्प लिया था कि 2014 में भाजपा की सरकार बनने पर मछुआरा जातियों की आरक्षण की विसंगति को दूर किया जायेगा तथा नीली क्रांति का विकास कर मछुआरों को आर्थिक विकास किया जायेगा।


निषाद ने बताया कि 2004 से UP की 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास विचाराधीन था। केन्द्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावर चन्द्र गहलौत व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री में वापस लेकर अतिपिछड़ी जातियों के साथ अन्याय किया है। अपने मुख्यमंत्रीत्वकाल में मुलायम सिंह यादव ने तीन बार, अखिलेश यादव ने दो बार मायावती ने अनुसूचित जाति में शामिल करने का केन्द्र सरकार को प्रस्ताव किया था।