
no seat reserves for MLA and MP in Roadways Buses
पत्रिका अभियान
Anil K. Ankur
लखनऊ। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों से विधायकों और पूर्व विधायकों की सीट गायब हो गई है। अब विधायकों के आने पर कोई सीट खाली करने के लिए बाध्य नहीं है। ऐसी स्थिति में तमाम पूर्व विधायकों को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। कई बार तो उन्हें बस में खड़े हो कर यात्रा करनी पड़ जाती है।
उत्तर प्रदेश में चलती हैं 9000 रोडवेज की बसें
उत्तर प्रदेश में नौ हजार से ज्यादा रोडवेज की बसें चलती हैं। इसमें सिटी बसें भी शामिल हैं। बस के इतने बड़े बेड़े में विधायकों, सांसदों और पूर्व सांसद व पूर्व विधायकों के लिए कोई जगह अब नहीं बची है। पहले बसों में इस प्रकार की व्यवस्था थी कि सीट नम्बर एक और दो विधायक, सांसद व पूर्व विधायक और पूर्व सांसद के लिए आरक्षित रहती थी। अगर कोई विधायक और सांसद चलती बस में आ जाता था और कोई सवारी उसमें बैठी होती थी तो उसे खाली कराकर विधायक और सांसद को दे दिया जाता था।
डेढ़ दशक पहले यह व्यवस्था हुई थी खत्म
करीब डेढ़ दशक पहले विधायकों और पूर्व विधायकों को सीट देने की व्यवस्था खत्म कर दी गई थी। तत्कालीन प्रमुख सचिव परिवहन ने इस सम्बन्ध में आदेश जारी किए थे कि अब बसों में सीट आरक्षण की व्यवस्था पेंट से नहीं लिखी जाएगी। इसके पीछे उनकी मंशा यह थी कि शायद अब विधायक और सांसद बड़ी बड़ी गाडिय़ों में घूमते हैं, इसलिए उन्हें बसों की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं होती है।
विधायकों को होती है परेशानी
अभी भी यूपी में ऐसे विधायक हैं जो बसों से सफर करना चाहते हैं। कई पूर्व विधायक भी बसों से यात्रा करते हैं पर उसमें यह व्यवस्था खत्म हो जाने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। लोकतंत्र लाकेतंत्र सेननियों को भी इस प्रकार की समस्या झेलनी पड़ रही है।
Published on:
04 Jan 2018 09:07 pm
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