
25 जनवरी 1986 का दिन। फैजाबाद कोर्ट मेंं अधिवक्ता उमेश चंद्र पाण्डेय ने एक प्रार्थना पत्र मुंसिफ सदर के न्यायालय में प्रस्तुत किया कि श्रीराम जन्मभूमि में ताला बंद है।
Ram Mandir Katha: हिंदूओं ने न्यायालय में साफ कहा कि विवादित स्थल के एक भाग में दीवार बनाकर राम चबूतरा और रामलला विराजमान को अलग कर दिया गया है। यह अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति थी। अंग्रेजों की चाल है कि पीछे के भाग को मस्जिद बताकर मुसलमानों को नमाज अदा करने के लिए प्रेरित किया जाए। जबकि यह संभव नहीं है, क्यों कि बाहर की तरफ हम हिंदुओं का कब्जा है।
तर्क यह भी दिया गया कि यदि उक्त स्थल पर मस्जिद कभी रही होती तो उसकी देखभाल और प्रबंधन के लिए मुतबल्ली रहता। ऐसी हालत में उसके किसी क्षतिग्रस्त भाग को ठीक कराने के लिए अंग्रेजों को जहमत उठाने की क्या जरुरत पड़ती। अकाट्य तर्को के आगे न्यायालय में प्रतिवादी पक्ष के वकील के पास कोई जबाव ही नहीं सूझ रहा था।
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1966 से 1976 तक स्थिति
इस दौरान मामला लगभग ठंढ़ा पड़ा रहा, लेकिन तीन प्रमुख घटनाएं हुई।
1-एक तो देश आपात काल से गुजर रहा था।
2- इस दौरान रिसीवर कौन बने यह मुद्दा रहा।
3-निचली अदालत ने नया रिसीवर बना दिया और मामला लखनऊ हाईकोर्ट में चला गया।
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35 साल बाद श्रीराम जन्म भूमि का ताला खोलने का आदेश
25 जनवरी 1986 का दिन। फैजाबाद कोर्ट मेंं अधिवक्ता उमेश चंद्र पाण्डेय ने एक प्रार्थना पत्र मुंसिफ सदर के न्यायालय में प्रस्तुत किया कि श्रीराम जन्मभूमि में ताला बंद है। जबकि अंदर पूजा-पाठ पिछले तीन दशकों से हो रहा है। ताला बंद होने से बाहरी श्रद्धालु अंदर नहीं जा पा रहे हैं और उनको उनकी आस्था और पूजा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
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इसके लिए विद्वान अधिवक्ता ने गोपाल सिंह विशारद मामले का हवाला देते हुए न्यायालय को बताया कि उक्त मामले में न्यायालय ने निषेधाज्ञा दे रखी है, यह हिंदुओं के पक्ष में हैं कि उनको पूजा-पाठ के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। लेकिन न्यायालय ने यह कहा कि चार प्रकार के मुकदमों को संयुक्त किया गया है और उससे संबंधित समस्त कागजात हाईकोर्ट में है, इसलिए कोई आदेश पारित करना संभव नहीं है। उमेश चंद्र पाण्डेय ने इसके बाद मामला फैजाबाद के ही जिला जल एम के पाण्डेय की अदालत में दायर कर दिया।
(नोट- नोट इस मुकदमें के दायर होने के पूर्व चलने वाले सामाजिक आंदोलन और 1964 में विश्व हिंदू परिषद की स्थापना से लेकर एकात्मता यात्रा का विवरण कल के अंक में विस्तार से देखें।)
पोप की भारत यात्रा और हिंदूओं की नाराजगी
राजीव गांधी केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री थे और 1 फरवरी 1986 को नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डा (इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा) पर कैथोलिक इसाइयों के पोप जॉन पाल उतर रहे थे। हिंदू संगठन और हिंदू युवा विरोध कर रहे थे। कारण कि राजीव गांधी सरकार ने उनको राजकीय अतिथि बनाया था, धर्मनिरपेक्ष देश में पोप को राजकीय अतिथि बनाए जाने पर हिंदू संगठन आपत्ति कर रहे थे।
आंदोलन, विरोध, काला झंडा, मुर्दाबाद के बीच लाठी चार्ज और गिरफ्तारी का दौर भी जारी था। वहीं दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश के फैजाबाद में इतिहास नया अध्याय लिख रहा था। ठीक इसी दिन 10 बजकर दो मिनट पर न्यायालय श्रीराम जन्म भूमि पर ताला खोलने का आदेश सुना रहा था...।
एक समाचार एजेंसी ने लिखा-
"अयोध्या में 35 साल से बंद श्रीराम जन्मभूमि का ताला शनिवार की शाम को खुल गया। ताला खोले जाने के समय हजारों की संख्या में अयोध्यावासी मौजूद थे। ताला खुलते ही समूचा वातावरण भगवान राम के जयकारों से गूंज उठा। पूरे अयोध्या कस्बे में धार्मिक स्थल का मुक्ति दिवस मनाया गया।"
"यह पवित्र भूमि भगवान राम की जन्मभूमि है या बाबरी मस्जिद है इसे लेकर 35 वर्षो से दो समुदायों में विवाद था और श्रीराम जन्मभूमि के दरवाजे पर ताला लगा दिया गया था। जिला व सत्र न्यायाधीश कृष्ण मोहन पाण्डेय ने शनिवार को वकील उमेश चंद्र पाण्डेय की याचिका पर ताला खोलने का आदेश दिया। ताला खोलने की मांग को लेकर पिछले साल बिहार के सीतामढ़ी से लेकर दिल्ली तक रथयात्रा शुरू की गई थी। अनेक धार्मिक व सामाजिक संगठनों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। ताला खुलते ही भगवान राम की मूर्ति के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर अयोध्या और आसपास सशस्त्र पुलिस बल तैनात कर दिया है।"
"फैसले के समय भी अदालत के बाहर भारी भीड़ जमा थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान जिला मजिस्टे्रट और पुलिस अधीक्षक भी अदालत में हाजिर हुए थे। जिला मजिस्टे्रट ने अदालत को जहां यह बताया कि कहीं भी ताला लगाने का उल्लेख नहीं है तो वहीं पुलिस अधीक्षक ने अदालत से कहा कि बिना ताला लगाए भी सुरक्षा हो सकती है। *****
कल के अंक में पढि़ए विश्व हिंदू परिषद की स्थापना, ताला खोलने के फैसले के विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी
Updated on:
17 Oct 2023 07:35 am
Published on:
17 Oct 2023 07:09 am
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