
प्रतीकात्मक फाेटाे
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. पैकेट वाला दूध दूध सेहत के लिये बेहद लाभदायक है। इसमे कोई दो राय नहीं कि आजकल ज्यादातर लोग पैकेट वाले दूध का इस्तेमाल करने लगे हैं। पर अक्सर पैकेट वाला दूध खराब हो जाता है और हमें इसका पता भी नहीं चल पाता। पर अब यह मुमकिन है। भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान (आईआईटीआर) के वैज्ञानिकों ने ऐसा ऐसी तकनीक इजाद की है कि पैकेट खुद बता देगा कि दूध इस्तेमाल के लायक है या नहीं। दूध के पैकेट पर लगा सेंसर दूध के खराब होने पर खुद ब खुद रंग बदल लेगा। आईआईटीआर ने न सिर्फ दूध के लिये ऐसी तकनीक ईजाद की है बल्कि ऐसे स्मार्ट जार भी बनाने में सफलता हासिल की है जिनमें लगे सेंसर ये बता देंगे कि जार में रखा तला हुआ नमकीन खाने के लायक है या नहीं। न सिर्फ ये बल्कि सेब संतरे का जूस इस्तेमाल के लायक है या नहीं ये भी आसानी से पता लगाया जा सकेगा।
डेयरी फर्मों से निकलकर दूध उपभोक्ता तक पहुंचने के पहले वितरण के दूसरे माध्यमों से गुजरता है। कई बार ऐसा होता है कि दुकानों पर दूध ज्यादा समय पड़ा रह जाता है। ऐसे में अक्सर कोल्ड चेन मेंटेन न होने की दशा में दूध खराब हो जाता है और घर ले जाने पर पता चलता है कि दूध फट गया। इस दिशा में नयी खोज बेहद कारगर साबिह तोने वाली है। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. संदीप कुमार शर्मा के मुताबिक इस तकनीक को सीएसआईआर के फूड एंड कंज्यूमर सेफ्टी साॅल्यूशंस प्रोग्राम के तहत गुणवत्ता परखने के लिये विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि दूध में यूरिया, नाइट्राइट, फार्मलीन, अमोनिया, हाईड्रोजन परऑक्साइड, न्यूट्रिलाइजर, शूगर, डिटर्जेंट आदि की मिलावट की जाती है। मिलावट की जांच के लिये स्ट्रिप आधारित जांच है। इसी तरह पैकेट वाले दूध की जांच के लिये पैकेट पर सेंसर वाला डाॅट बनाया गया है।
सेंसर डाॅट वाले पैकेट में दूध अगर खराब हो जाएगा तो उसपर बने डाॅट का रंग अपने आप बदल जाएगा, जिससे पता चल जाएगा कि दूध खराब हो गया है। इसी तरह स्ट्रिप आधारिज जांच में किट में मौजूद साॅल्यूशन की कुछ बूंदें डालते ही पट्ट का रंग बदल जाएगा। इससे पता ले जाएगा कि दूध में मिलावट है या नहीं। एक किट में इतना साॅल्यूशन मौजूद होगा कि इससे 600 बार जांच की जा सकेगी, जिसकी कीमत बेहद कम पड़ेगी।
नमकीन, चिप्स, भुजिया आदि तली हुई चीजें जब ज्यादा दिन की बनी हुई होती हैं तो अक्सर उनका तेल खराब हो जाता है। उसमें गंध आने लगती है और खाने लायक भी नहीं रहतीं। ऐसे में आईआईसीटीआर का स्मार्ट जार काम आएगा। जार का ढक्कन खुद बता देगा कि उसमें रखी नमकीन खाने लायक है या नहीं। डाॅ. शर्मा के मुताबिक जार के ढक्कर में लगा सेंसर रंग बदलकर इसकी जानकारी दे देगा। उन्होंने बताया कि तली हुए चीजों में एरोमैटिक कंपाउंड्स बनते हैं जो ढक्कर में बने सेंसर डाॅट के रंग को बदल देते हैं। डाॅ. शर्मा ने बताया है कि इसी टेक्नाेलाॅजी पर स्मार्ट कैप बनाए गए हैं जो ऑरेंज जूस की बोतल पर लगाकर यह जाना जा सकेगा कि जूस पीने लायक है या नहीं।
इसके अलावा सेब संतरे का जूस खराब है या नहीं इसकी जांच के लिये भी स्ट्रिप जांच तकनीक विकसित की है। डाॅ. शर्मा के मुताबिक फ्रिज में अक्सर तापमान ऊपर-नीचे होने या किसी तरह का फंगस होने पर जूस पहले खराब होते हैं। जूस में मौजूद एंस्काॅर्बिक एसिड का विघटन हो जाता है तो वहीं शूगर फरफराॅन रसायन बनाता है, जो कैंसर जैसे रोगाें का जिम्मेदार माना गया है। ऐसा जूस सेहत के लिये ठीक नहीं। आईआईसीटीआर की स्ट्रिप जांच तकनीक का इस्तेमाल कर कुछ बूंदें डालते ही पट्टी का रंग बदल जाने पर साफ हो जाएगा कि जूस खराब हो चुका है। सेब के जूस की भी पट्टी से जांच की जा सकती है। इसके अलावा साॅल्यूशन बेस्ड टेस्ट में कुछ बूंदें डालते ही इसकी गुणवत्ता का पता लगाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि इस टेक्नाेलाॅजी को बाजार तक लाने के लिये उद्योगों से बात चल रही है। इसके पेटेंट के लिये भी अप्लाई किया जा चुका है।
Published on:
07 Feb 2021 08:00 pm
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