दो वक्त की रोटी को तरस रहा ‘रॉ’ का पूर्व एजेंट, 1985 से एजेंसी के लिए काम करने का दावा, सरकार से की यह अपील
राजधानी लखनऊ में एक व्यक्ति ने खुद को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का पूर्व एजेंट होने का दावा किया है

लखनऊ. राजधानी लखनऊ में एक व्यक्ति ने खुद को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का पूर्व एजेंट होने का दावा किया है। लखनऊ के गोमती नगर एक्सटेंशन में रहने वाले मनोज रंजन (56) पूर्व रॉ एजेंट होने का दावा करते हैं। मूल रूप से नजीबाबाद से ताल्लुक रखने वाले मनोज का कहना है कि वह 1985 से रॉ के लिए काम कर रहे थे और सैन्य प्रशिक्षण के बाद, उन्हें पाकिस्तान भेजा गया। मगर 1992 में पाकिस्तान में जासूसी करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 2005 में वाघा सीमा पर छोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि 2013 में उनकी पत्नी को कैंसर हुआ था। उसके इलाज के लिए वह लखनऊ आए थे लेकिन तब तक पत्नी की मौत हो चुकी थी। तब से वह लखनऊ में ही हैं और स्टोर कीपर की नौकर कर अपना गुजारा कर रहे थे। लेकिन लॉकडाउन के दौरान उनकी यह नौकरी भी चली गई और अब गुजर-बसर के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
रॉ के अधिकारी नकार रहे पूर्व एजेंट होने का दावा
मनोज के अनुसार, उन्हें अफगानिस्तान सीमा पर जासूसी करने के लिए गिरफ्तार किया गया था और उन्हें यातना का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि वापसी के बाद रॉ के कुछ अधिकारियों ने उन्हें वित्तीय मदद दी, लेकिन इसके बाद उन्हें उनकी हालत पर छोड़ दिया गया। उनके अनुसार, अधिकारी अब इस तथ्य को नकार रहे हैं कि वह रॉ के एक पूर्व एजेंट हैं। उन्होंने सरकार से रहने के लिए घर की अपील कर कहा कि वह ऐसे काम की तलाश कर रहे हैं जो उन्हें दो वक्त की रोटी दे सके। उन्होंने बेबसी के साथ कहा, "गरीबों के लिए बहुत सारी योजनाएं हैं, लेकिन मेरे लिए कुछ भी नहीं है।"
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