
1983 बैच के आइपीएस अफसर रहे हैं ओम प्रकाश सिंह
परसन ऑफ दि वीक- ओपी सिंह
महेंद्र प्रताप सिंह
यूपी की नौकरशाही में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश यानी ओपी सिंह सौम्य और शिष्ट चेहरा हैं। वे प्रदेश सरकार की लंबी सेवा के बाद 31 जनवरी 2020 को रिटायरमेंट हो जाएंगे। प्रदेश में अपराध रोकने में काफी हद तक सफल रहे ओपी सिंह रिटायरमेंट से पहले अगले ठिकाने की तलाश में जुट गए हैं। इसलिए सत्ता के गलियारे में इन दिनों यह चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल, डीजीपी पद से हटने के बाद ओपी सिंह मुख्य सूचना आयुक्त बनना चाहते हैं। इसलिए इन्होंने दर्जनों अन्य लोगों के साथ इस पद के लिए आवेदन किया है। यदि सिंह मुख्य सूचना आयुक्त बन गए तो इस पद पर वे तीन साल तक रहेंगे। इस दौरान इन्हें 2.25 लाख रुपए प्रति माह वेतन और अन्य सुविधाएं मिलेंगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चहेते अफसरों में शामिल ओपी सिंह ने 3 जनवरी 2018 को उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक यानी डीजीपी का पद संभाला था। 1983 बैच के आइपीएस अफसर ओपी सिंह का जन्म 2 जनवरी 1960 को बिहार के गया में हुआ था। अपने पूर्ववर्ती सुलखान सिंह की ही तरह इन्होंने भी बचपन में अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। इनके माता-पिता बहुत गरीब थे। पिता की मौत के बाद इनकी मां ने इन्हें खेती करके पढ़ाया-लिखाया। शुरूआती पढ़ाई गया में करने के बाद रांची के संत जेवियर इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट किया। बचपन से पढ़ाई में काफी तेज ओपी सिंह उच्च अध्ययन के लिए दिल्ली चले गए। और दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए में गोल्ड मेडल हासिल किया। अफसर बनने से पहले ओपी सिंह ने दिल्ली में टीचिंग भी की। 1983 में इन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की और आईपीएस बने। इनकी पहली पोस्टिंग बतौर ट्रेनी एएसपी वाराणसी में हुई। यूपी में नौकरी के दौरान यह चर्चा में तब आए जब 1992-93 में इनकी तैनाती लखीमपुर खीरी जिले में थी। इस दौरान इन्होंने नेपाल बॉर्डर से होने वाली तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगायी। तब यह विपक्ष के निशाने आ गए। 25 जून साल 1995 यूपी के चर्चित गेस्ट हाउस कांड में भी इनका नाम सुर्खियों में रहा।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी ओपी सिंह को गाने का बहुत शौक है। इनके पसंदीदा गायक मुकेश हैं। यूपी के डीजीपी के पद पर तैनात होने से पहले यह केंद्र में डेप्युटेशन पर थे। यहां ओपी सिंह सीआईएसएफ यानी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में डीजी थे। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल यानी एनडीआरएफ के महानिदेशक भी रह चुके थे। बेहतर कार्य प्रणाली की वजह से राष्ट्रपति से पदक पाने वाले ओपी सिंह उत्तर प्रदेश के इकलौते डीजीपी हैं। बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल ढाई साल का रहा, जो जनवरी में पूरा हो जाएगा। यूपी के पुलिस महानिदेशक के रूप में ओमप्रकाश सिंह का कार्यकाल राज्य में अपराध कम करने के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने अपने कार्यकाल मेंउत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ कई तरह के ऑपरेशन चलाए। जिनमें 'जीरो टॉलरेंस नीति', 'ऑपरेशन रोमियो' और 'ऑपरेशन क्लीन' प्रमुख हैं। अयोध्या फैसले के बाद यूपी में एक भी अपराध न होना इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही। इनका कार्यकाल यूपी में ताबड़तोड़ एनकाउंटर के लिए भी याद किया जाएगा। इनके निर्देशन में तीन हजार के करीब एनकाउंटर हुए। 70 से ज्यादा अपराधी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए। 850 घायल हुए। 7 हजार से ज्यादा गिरफ्तार किए गए। इन मुठभेड़ों को लेकर ओपी सिंह मानवाधिकार आयोग और विपक्ष के भी निशाने पर रहे। सोनभद्र नरसंहार, कमलेश तिवारी हत्याकांड और मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं के लिए भी ओपी सिंह का कार्यकाल याद किया जाएगा।
ओमप्रकाश सिंह को यह मलाल रहेगा कि उनके कार्यकाल के अंतिम दिनों में नागरिकता कानून को लेकर प्रदेश में व्यापक हिंसा हुई। अन्यथा ढाई साल के कार्यकाल में कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ। हालांकि, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो 2017 में यूपी में अपराधों में बाढ़ आ गयी। पूरे देश में हुए अपराधों में से सबसे ज्यादा 10.1 फीसदी अपराध यूपी में ही हुए। देश में होने वाली सबसे ज्यादा हत्याएं और सबसे ज्यादा जघन्य अपराध उत्तर प्रदेश में हुए। सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं, दहेज हत्याएं और अपहरण के मामले भी उत्तर प्रदेश आगे रहा। दुष्कर्म और दंगों के मामले में भी राज्य देश में दूसरे नंबर पर रहा। बहरहाल, अब जब श्री सिंह की शासकीय सेवा के महज एक माह बचे हैं। और यह माना जा रहा है कि वह प्रदेश के अगले मुख्य सूचना आयुक्त बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं तो यह उनके कार्य, व्यवहार और सबको साथ लेकर चलने की कुशलता ही मानी जाएगी। यदि वे मुख्य सूचना आयुक्त बनते हैं तो यह तय है कि तमाम विरोधाभासों के बीच वह अगले तीन साल तक योगी सरकार की आंखों के तारे बने रहेंगे।
Updated on:
25 Dec 2019 02:37 pm
Published on:
25 Dec 2019 02:30 pm
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