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Diwali Liquor News: रसूखदारों के संरक्षण में लखनऊ में फल-फूल रहा जहरीली शराब का कारोबार

Poison in a Bottle: जैसे-जैसे दीपावली का पर्व नजदीक आ रहा है, लखनऊ के शराब बाजार में ब्रांडेड बोतलों में नकली और जहरीली शराब की भरमार हो गई है। उत्तर प्रदेश सरकार की सख्त चेतावनियों के बावजूद यह अवैध शराब का कारोबार रसूखदारों के संरक्षण में तेजी से फल-फूल रहा है। यह मौत का धंधा बिना किसी रोक-टोक के जारी है, जो न सिर्फ असंख्य लोगों की जान जोखिम में डाल रहा है, बल्कि माफिया और अधिकारियों के गहरे गठजोड़ को भी उजागर कर रहा है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 06, 2025

ब्रांडेड बोतलों में बिक रही जहरीली नकली शराब, सरकार की सख्ती के बावजूद प्रशासन की नाक तले जारी घातक धंधा (फोटो सोर्स : Whatsapp )

ब्रांडेड बोतलों में बिक रही जहरीली नकली शराब, सरकार की सख्ती के बावजूद प्रशासन की नाक तले जारी घातक धंधा (फोटो सोर्स : Whatsapp )

Diwali Illegal Liquor Trade UP: दीपावली जैसे बड़े पर्व के नजदीक आते ही राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अवैध और नकली शराब का कारोबार एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। ब्रांडेड शराब की बोतलों में भरी जा रही जहरीली नकली शराब अब जानलेवा रूप धारण कर चुकी है। बोतलों के ढक्कन, लेबल और बार कोड इतने असली जैसे हैं कि आम उपभोक्ता असली और नकली में फर्क तक नहीं कर पाता। सूत्रों के अनुसार, इस काले कारोबार के पीछे न सिर्फ स्थानीय तस्कर बल्कि रसूखदार संरक्षणदाता भी सक्रिय हैं, जिनकी मिलीभगत से यह मौत का धंधा निर्भीकता से चल रहा है।

नकली शराब का जाल गांव से शहर तक फैला

राजधानी से लेकर आसपास के जिलों तक अवैध शराब का नेटवर्क गांव-गांव और शहर-शहर में फैला हुआ है। पुलिस और आबकारी विभाग द्वारा की जाने वाली छिटपुट कार्रवाई केवल औपचारिकता बनकर रह गई है। सूत्र बताते हैं कि लखनऊ, बाराबंकी, कानपुर, उन्नाव और सीतापुर तक फैले इस नेटवर्क में छोटे स्तर के स्थानीय कारोबारी ही नहीं, बल्कि बड़े प्रभावशाली लोग भी हिस्सेदार हैं। हर बार जब पुलिस छापा मारती है, कुछ बोतलें, स्टिकर और ड्रम जब्त कर दिए जाते हैं, लेकिन मुख्य सरगना सुरक्षित बच निकलता है।

असली लेबल, नकली शराब – मौत का ब्रांडेड खेल

बाजार में बिक रही नकली शराब की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह असली ब्रांड के नाम और बोतलों में बेची जा रही है। उदाहरण के तौर पर, विदेशी शराब की बोतलों में देसी मिलावट की शराब भर दी जाती है। 50 पैसे के डुप्लीकेट स्टिकर और बारकोड के सहारे इन नकली उत्पादों को असली की तरह दिखाया जाता है।

एसटीएफ के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने बताया कि  लखनऊ से कानपुर तक अवैध शराब तस्करों का मजबूत नेटवर्क है। हरियाणा निर्मित शराब की अवैध खेपें लगातार आ रही हैं। जो शराब एसटीएफ पकड़ती है, वह तो ऊंट के मुंह में जीरा है। वास्तविक बाजार में इससे दस गुना अधिक शराब रोज़ खपाई जा रही है।

सरकारी सख्ती, लेकिन जमीनी कार्रवाई कमजोर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध शराब के कारोबार पर रोक लगाने के लिए कई बार सख्त निर्देश जारी किए हैं। इसके बावजूद, अभियान केवल कागजों में ही सिमट कर रह गया है। पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारी अभियान चलाने के नाम पर केवल कोरम पूरा करने का खेल करते हैं। अंदरखाने, यही अधिकारी उसी अवैध कारोबारियों से लाभ लेकर उनके धंधे को और मजबूत करने में मदद करते हैं। एक स्थानीय सूत्र ने बताया कि जितनी शराब पकड़ी जाती है, उससे कहीं अधिक मात्रा में रसूखदारों के संरक्षण में शहरभर में खपाई जाती है। पुलिस और विभाग को इसकी पूरी जानकारी होती है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।

हरियाणा निर्मित शराब की बढ़ती तस्करी

राजधानी लखनऊ में लगातार हरियाणा निर्मित अवैध शराब की खेपें पकड़ी जा रही हैं। इन बोतलों को प्रदेश में अलग-अलग ट्रकों के माध्यम से भेजा जाता है और स्थानीय स्तर पर खाली बोतलों में भरकर बेचा जाता है। हालांकि, इतनी लगातार बरामदगियों के बावजूद यह तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही। इससे साफ है कि बड़ी मछलियाँ अब भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं।

आबकारी विभाग की चुप्पी पर सवाल

जब भी पुलिस कोई बड़ा खुलासा करती है, आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध नजर आती है। ना तो नियमित निरीक्षण किए जाते हैं और ना ही लाइसेंस प्राप्त दुकानों की निगरानी प्रभावी ढंग से होती है। आबकारी विभाग के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि एक्साइज एक्ट में अवैध शराब बेचने वालों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान नहीं है। इस वजह से आरोपी हर बार बरी होकर फिर से धंधा शुरू कर देते हैं। जब तक कानून सख्त नहीं होगा, तब तक रोक लगना मुश्किल है।

जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़

नकली शराब के सेवन से बीते कुछ वर्षों में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है।अस्पतालों में शराब से संबंधित मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।डॉक्टरों के मुताबिक, नकली शराब में मेथेनॉल और अन्य जहरीले रसायन मिलाए जाते हैं, जो आंखों की रोशनी छीनने से लेकर मौत तक का कारण बनते हैं।इसके बावजूद इस कारोबार पर अंकुश लगाने के प्रयास नाकाफी हैं।

“जुर्माना नहीं, सजा चाहिए” -- जनता की मांग

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अब केवल जुर्माना लगाने से कुछ नहीं होगा।जब तक दोषियों को कड़ी सजा नहीं दी जाती, तब तक यह माफिया जिंदा रहेगा।अलीगंज निवासी सुरेश मिश्रा कहते हैं कि हर त्योहार पर जहरीली शराब से मौत की खबरें आती हैं। सरकार सख्ती की बात करती है, लेकिन असल में कुछ नहीं बदलता। जब तक प्रशासन में मिलीभगत खत्म नहीं होगी, तब तक यह धंधा खत्म नहीं होगा।”

पुलिस-प्रशासन की ‘मौन स्वीकृति’

पुलिस और आबकारी विभाग की मौन भूमिका ने इस कारोबार को और पंख लगा दिए हैं।कई दुकानों पर खुलेआम नकली शराब बेची जा रही है, लेकिन किसी को डर नहीं। सूत्रों के अनुसार, “सेटिंग सिस्टम” के जरिए हर स्तर पर कमाई तय होती है कि

  • थाना स्तर पर सुरक्षा शुल्क,
  • गोदाम स्तर पर हिस्सा,
  • और विभागीय अधिकारियों के जरिए हर महीने ‘कट’।

कानून में बदलाव की जरूरत

विशेषज्ञों का मानना है कि एक्साइज एक्ट में संशोधन कर अवैध शराब के कारोबार में संलिप्त लोगों के लिए कठोर सजा और संपत्ति जब्ती का प्रावधान किया जाना चाहिए।साथ ही, नकली शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाले रसायनों और उपकरणों की बिक्री पर भी नियंत्रण आवश्यक है। राज्य सरकार को अब केवल कार्रवाई की घोषणा नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस परिवर्तन लागू करना होगा।