
प्रदूषण ने बढ़ाया डिप्रेशन, याददाश्त हो रही कमजोर, भूख भी हो रही प्रभावित
लखनऊ. यूपी में बढ़ता प्रदूषण और बदलता मौसम लोगों की सेहत पर बुरा असर डाल रहा है। प्रदूषण से जहां फेफड़ों को नुकसान हो रहा है तो वहीं भूख और याददाश्त भी प्रभावित हो रही है। अवसाद के लक्षण होने पर मानसिक रूप से असर पड़ रहा है। जुकाम से नाक बंद, सीने में जकड़न, नींद नहीं आना, ये सब लक्षण मनुष्य को चिड़चिड़ा बना रहे हैं। लंबे समय तक ऐसे हालात होने से लोगों में चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। ऐसी कई शिकायतें लेकर लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं।
साइकोलॉजिकल टेस्टिंग एण्ड काउंसिलिंग सेंटर (पीटीसीसी) के निदेशक और पूर्व मंडलीय मनोवैज्ञानिक डॉ. एलके सिंह के मुताबिक का कहना है कि नवंबर का महीना सबसे ज्यादा लोगों में डिप्रेशन लाता है। इसके कई वैज्ञानिक कारण हैं। पिछले कुछ वर्षों से नवंबर महीने में प्रदूषण भी बढ़ने लगा है। इस कारण स्थिति बदलती जा रही है। रोज तीन-चार मामले अवसाद के आ रहे हैं जिनकी आंखों में जलन, गले में खराश जैसे लक्षण हैं। यहां तक कि भूख भी प्रभावित हो रही है। इससे कामकाज पर असर पड़ रहा है। ऐसा प्रदूषण के कारण हो सकता है।
सेहत पर पड़ता है असर
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के डॉ. दिनेश राठौर का कहना है कि जुकाम-खांसी और छाती में जकड़न लगातार रहने से मरीज दिमागी तौर पर परेशान हो जाते हैं। इससे बात-बात पर गुस्सा करना, काम में मन न लगना, खीझना जैसी दिक्कत होने लगती हैं। हालांकि, यह अस्थायी है और सेहत ठीक होने पर लक्षण भी सामान्य होने लगते हैं लेकिन जब तक मनुष्य इससे जूझता है, तब तक व्यवहार में फर्क जरूर आता है।
योगा से मिलेगी राहत
इस तरह की परेशानी से बचने के लिए मनोवैज्ञानिक योग को अपनी लाइफस्टाइल में अपनाने की सलाह देते हैं। इससे शरीर में चुस्ती-फुर्ती आती है। इसके अतिरिक्त ज्यादा पानी पीने की भी सलाह दी जाती है।
Published on:
11 Nov 2020 09:24 am
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