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राष्ट्रपति चुनाव: अखिलेश यादव ही नहीं योगी के कई मंत्री भी नहीं दे सकेंगे वोट 

अखिलेश ने मीरा कुमार का किया है समार्थन तो एनडीए ने रामनाथ कोविंद का। 

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Ashish Kumar Pandey

Jul 17, 2017

akhilesh yadav

akhilesh yadav

लखनऊ. राष्ट्रपति चुनाव में अखिलेश यादव ने मीरा कुमार को वोट नहीं दिया। यही नहीं योगी के उप मुख्यमंत्री डाक्टर दिनेश शर्मा, परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, मंत्री मोहसिन रजा भी एनडीए के उम्मीदवार को वोट नहीं दे सके। 17 जुलाई यानी सोमवार को राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले जा रहे हैं। राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए ने रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार बनाया है तो वहीं विपक्ष ने कांग्रेस की मीरा कुमार को विपक्ष का साझा प्रत्याशी बनाया है। मीरा कुमार के साथ सपा, बसपा और कांग्रेस हैं।
मीरा कुमार ने पिछले दिनों लखनऊ में सपा-बसपा से अपने लिए वोट मांगा था। लेकिन यहां सबसे बड़ी बात यह है कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही मीरा कुमार को वोट नहीं दे सके। अखिलेश मीरा कुमार को भले ही सपा विधायकों का वोट दिलाने के लिए कमर कसे हुए हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि अखिलेश यादव ही मीरा कुमार को वोट नहीं देंगे। बतादें कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं यानी एमएलसी हैं और वहीं उप मुख्यमंत्री डाक्टर दिनेश शर्मा, योगी सरकार में परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, मंत्री मोहसिन रजा भी राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं दे सके। क्यों कि ये मंत्री अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। अगर ये एमएलसी यानी विधानपरिषद के लिए चुने जाते तो भी राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं दे सकते थे।
बतादें कि राष्ट्रपति चुनाव में सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के इलेक्टेड मेंबर और लोकसभा तथा राज्यसभा में चुनकर आए सांसद ही वोट डालते हैं। प्रेजिडेंट की ओर से संसद में नॉमिनेटेड मेंबर वोट नहीं डाल सकते। राज्यों की विधान परिषदों के सदस्यों को भी वोटिंग का अधिकार नहीं है, क्योंकि वे जनता द्वारा चुने गए सदस्य नहीं होते। ऐसा ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ है वे भले ही मीरा कुमार का समर्थन कर रहे हैं लेकिन वे जनता द्वारा चुने गए सदस्य नहीं हैं इसलिए राष्ट्रपति चुनाव में वे वोट नहीं डाल सकेंगे।


कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव
भारत में राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका अनूठा है और एक तरह से इसे आप सर्वश्रेष्ठ संवैधानिक तरीका भी कह सकते हैं। इसमें विभिन्न देशों की चुनाव पद्धतियों की अच्छी बातों को चुन-चुन कर शामिल किया गया है। हमारे देश में राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज करता है, लेकिन इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व आनुपातिक भी होता है। उनका सिंगल वोट ट्रांसफर होता है, पर उनकी दूसरी पसंद की भी गिनती होती है। इस चुनाव प्रणाली की खूबसूरती को समझने के लिए हमें इन बिंदुओं को समझना होगा।

इनडायरेक्ट इलेक्शन
प्रेजिडेंट का चुनाव एक निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज करता है। भारत के संविधान के आर्टिकल 54 में इसका उल्लेख है। यानी जनता अपने प्रेजिडेंट का चुनाव सीधे नहीं करती, बल्कि उसके वोट से चुने गए लोग यानी विधायक और सांसद करते हैं। यह है अप्रत्यक्ष निर्वाचन।

किसे है वोट देने का अधिकार
राष्ट्रपति चुनाव में सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के इलेक्टेड मेंबर और लोकसभा तथा राज्यसभा में चुनकर आए सांसद वोट डालते हैं। प्रेजिडेंट की ओर से संसद में नॉमिनेटेड मेंबर वोट नहीं डाल सकते। राज्यों की विधान परिषदों के सदस्यों को भी वोटिंग का अधिकार नहीं है, क्योंकि वे जनता द्वारा चुने गए सदस्य नहीं होते।