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लखनऊ

योगी सरकार के फीस न बढ़ाने के आदेश के खिलाफ प्राइवेट स्कूल पहुंचे हाईकोर्ट, सरकार से 18 जून तक जवाब तलब

– मौजूदा सत्र में फीस न बढ़ाने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे प्राइवेट स्कूल
– यूपी सरकार के फैसले को बताया असंवैधानिक
– कोर्ट ने जवाबी हलफनामा तैयार कर 18 जून तक मांगा जवाब

लखनऊMay 20, 2020 / 10:10 am

Karishma Lalwani

योगी सरकार के फीस न बढ़ाने के आदेश के खिलाफ प्राइवेट स्कूल पहुंचे हाईकोर्ट, सरकार से 18 जून तक जवाब तलब

योगी सरकार के फीस न बढ़ाने के आदेश के खिलाफ प्राइवेट स्कूल पहुंचे हाईकोर्ट, सरकार से 18 जून तक जवाब तलब

लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस वित्तीय वर्ष प्राइवेट स्कूलों में फीस (Fees Private School) न बढ़ाने और यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को असंवैधानिक घोषित करने के मामले में नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सरकार से जवाबी हल्फनामा तलब करते हुए 18 जून तक जवाब मांगा है। यह आदेश जस्टिस अनिल कुमार और जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ यूपी व एक अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर वीडियो कांफे्रसिंग के जरिये सुनवायी करते हुए पारित किया है। याचिका में सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना महामारी के चलते गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में इस वर्ष फीस वृद्धि पर रोक लगा दी जाए। हालांकि, राज्य सरकार ने याचिका पर विरोध जताया है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश की दलील

प्राइवेट स्कूलों का मानना है कि सरकार का यह आदेश मनमाना, अतार्किक एवं असंवैधानिक है। प्राइवेट स्कूलों की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वीडियों कांफ्रेंसिंग के दौरान दलील दी कि उत्तर प्रदेश सेल्फ फिनान्स इंडिपेंडेंट स्कूल्स (फी रेगुलेशन) एक्ट 2018 के तहत फीस वृद्धि की जा सकती है। फीस वृद्धि के सम्बंध में बिना किसी अभिभावक की आपत्ति आए, सरकार ने खुद संज्ञान लेकर यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उक्त आदेश जारी कर दिये। कोर्ट को दी गई याचिका में उत्तर प्रदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को भी असंवैधानिक कहा गया है और साथ ही उसे केंद्रीय अधिनियम का अतिक्रमण करने वाला बताया गया है।
राज्य सरकार ने जताया विरोध

राज्य सरकार ने याचिका पर विरोध जताया है। याचिका में यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती दी गयी है और ऐसे मामलेां में महाधिवक्ता को नेाटिस करना अनिवार्य है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद महाधिवता को नोटिस जारी कर दी और साथ ही राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा तलब कर लिया।
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