यूपी में कांग्रेस के पास अभी कोर्इ एेसा चेहरा नहीं है जिसके बल पर वह यूपी का चुनाव लड़ सके। यूपी में कांग्रेस ने अगला चुनाव लड़ने के लिए अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। विधानसभा की तैयारियों में जुटी कांग्रेस में अब यूपी में एक सवाल जोर शोर से उठने लगा है कि पार्टी की तस्वीर पीके के प्रबंधन से बदलेगी या पीजी यानी प्रियंका गांधी के कमान संभालने से? यूपी में कांग्रेस अपने रणनीतिकार प्रशांत किशोर के भरोसे चुनाव नहीं जीत सकती। चुनाव जीतने के लिए उसे चेहरा भी चाहिए। पीके कांग्रेस का कोई चेहरा नहीं है। वे केवल रणनीतिकार हैं।
यूपी के कार्यकर्ता अब खुले तौर पर प्रियंका गांधी को चुनावी कमान सौंपने की मांग कर रहे हैं। तो वहीं पार्टी के कई दिग्गज भी यही चाहते हैं, लेकिन वे हाई कमान का मूड भांपने में लगे हैं। इस समय जिलों-जिलों में प्रशांत किशोर की टीम दौरा कर रही है। इस दौरान प्रियंका गांधी को लेकर उठ रही मांग ने और तेज हो गई है।
बिना चेहरे के सफल नहीं रहे
प्रशांत किशोर कभी बिना चेहरे के कहीं चुनाव जिताने में सफल नहीं रहे हैं। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार पीके की कार्यशैली से भलिभांती परिचित हैं। ये लोग जानते हैं कि वह नेतृत्व करने वाला चेहरा सामने लाकर की पार्टी को चुनाव मैदान में उतारते रहे हैं। जब पंजाब में चुनाव हो रहा था तो वहां उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को कांग्रेस के सीएम का दावेदार प्रोजेक्ट कराया था। अब सवाल उत्तर प्रदेश का है जहां कांग्रेस ढाई दशक से भी अधिक समय से सत्ता से दूर चल रही कांग्रेस में जान फूंकने की कोशिश बिना चेहरे के कैसे संभव हो सकता है?
सूत्रों की मानें तो फीडबैक जुटाने के लिए जिलों में भेजी गई टीमों को पीके ने पार्टी के भीतर से ऐसा कोई चेहरा तलाशने की जिम्मेदारी भी दी गई है। इस कोशिश में टीमों के सामने बार-बार प्रियंका गांधी का ही नाम आ रहा है। पीके की टीमें इस समय इलाहाबाद, वाराणसी व गोरखपुर के दौरे पर हैं।
ऐसा नहीं है की यह मांग पहली बार उठा है
ऐसा नहीं है की प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाने की यह मांग पहली बार उठ रही है। इससे पहले भी यह मांग उठती रही है। जब भी यह मांग उठी पार्टी के जिम्मेदार नेता अपना कान व मुंह बंद कर लेते रहे हैं। जो भी हो लेकिन कार्यकर्ताओं पीके की टीम के सामने फिर अपनी बात कहने का मौका मिल रहा है। उधर, कांगेस के प्रदेश महासचिव कहते हैं कि सक्रिय राजनीति में आने का फेसला प्रियंका गांधी को स्वयं लेना है। यह निर्णय उनका अपना होगा। जब वह पार्टी में आएंगी तो उनका जोरदार स्वागत किया जाएगा।