
AKTU वीसी के खिलाफ होगी जांच, जानें क्यों विवादों में घिरते जा रहे हैं कलुपति
लखनऊ. पिछले दिनों बीजेपी विधायक शंशाक त्रिवेदी से विवाद के बाद एकेटीयू के कुलपति प्रो.विनय पाठक की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं। उन पर अब साहित्यिक चोरी का आरोप लगा है। इस आरोप पर ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को पत्र लिखा है उस में जांच की बात कही गई है। हालांकि कुलपति ने इन सभी आरोपों को अपने खिलाफ साजिश बताया। उन्होंने कहा कि जुलाई में वीसी के सेकेंड टर्म के लिए इंटरव्यू है। ऐसे में यह सब इसीलिए किया जा रहा है ताकि छवि खराब की जा सके। इसके अलावा कुलपति ने मंगलवार को एक डॉक्यूमेंट जारी किया जिसमें एआईसीटीई की ओर से पत्र लिखे जाने की बात तो कबूली गई है लेकिन फिलहाल इस मामले में जांच नहीं होगी।
क्या है मामला
एकेटीयू के कुलपति प्रो.विनय पाठक पर आरोप है कि साल 2013 में वीसी प्रो. विनय पाठक ने लेखक रोहित कटियार और केवी आर्या के साथ संयुक्त रूप से एक शोधपत्र 'अ स्टडी ऑन एग्जिस्टिंग गैट बायोमीट्रिक्स अप्रोच्स ऐंड चैलेंजेस' को इंटरनैशनल जर्नल आफ कंप्यूटर साइंसेज में प्रकाशित करवाया गया। इसमें छपा कंटेंट साल 2005 में आईईईई सिग्नल प्रोसेसिंग मैगजीन में प्रकाशित शोध पत्र 'गैट रिकॉग्निशन अ चैलेंजिंग सिग्नल प्रोसेसिंग टेक्नॉलजी फॉर बायोमीट्रिक आईडेंटिफिकेशन' से हूबहू मेल खाता है। इस संबंध में विराट सिंह की ओर से एमएचआरडी में शिकायत की गई थी। इस पर एआईसीटीई ने यूजीसी को जांच के लिए पत्र लिखा है।
बीजेपी विधायक का शिकायती पत्र हुआ था वायरल
बता दें कि चार दिन पहले ही सीतापुर के महोली से विधायक शशांक त्रिवेदी का एक पत्र जारी हुआ था जिसमें कुलपति पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। डिप्लोमा इंजीनियर्स के पद पर डिग्री धारकों की गलत तरह से तैनाती की गई है।यहां तक की विनियमितीकरण में शासनादेश तक पर रख कर की जमकर धांधली की गई है।इसके बाद कुलपति प्रो. विनय पाठक की ओर से पत्र जारी किया गया। इसमें जिसमें विधायक पर आरोप लगाया गया कि उनकी सिफारिश न पूरी करने के कारण वह झूठा पत्र लिख रहे हैं।
सीएम योगी से मिले वीसी
एक अखबार का दावा है कि वीसी प्रो. विनय कुमार पाठक ने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने साहित्यिक चोरी और विधायक से चल रहे विवाद पर मुख्यमंत्री के सामने अपना पक्ष रखा। यह मुलाकात सिर्फ पांच मिनट की थी, हालांकि वीसी ने इसे निजी बताया है।साहित्यिक चोरी के आरोप पर वीसी प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा कि हमने एआईसीटीई से पूछा है कि वास्तव में ऐसी किसी जांच के लिए लिखा गया है या यह पत्र फर्जी है। साहित्यिक चोरी का आरोप पूरी तरह से झूठा है। मैंने वह रिसर्च पेपर लिखा ही नहीं है, जिसके बारे में बात की जा रही है। एआईसीटीई ने भी कोई जांच नहीं गठित की है। यह उनकी रूटीन प्रक्रिया है। कोई भी शिकायत करेगा तो वह संबंधित संस्था को भेज दिया जाता है।
इससे पहले भी लग चुके हैं आरोप
विवादों से एकेटीयू वीसी का पुराना नाता है। इससे पहले पिछले दिनों अनुभव का फर्जी प्रमाणपत्र लगाने के आरोप पर कोर्ट ने नोटिस जारी किया था। याचिका में पाठक पर आरोप लगाया गया है कि विनय कुमार पाठक ने उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी, हल्द्वानी में कुलपति पद हासिल करने के लिए वर्ष 2009 में दिए अपने बॉयोडाटा में खुद को 18 जनवरी 2006 से प्रफेसर होना बताया है। जबकि वह 2006 में प्रफेसर के पद पर एचबीटीयू कानपुर में नियुक्त हुए। यह फर्जी अनुभव दर्शाने का मामला है। इसी आधार पर वह वर्धमान ओपन यूनिवर्सिटी, कोटा, राजस्थान में वर्ष 2013 में कुलपति के पद पर नियुक्त किए गए। हालांकि प्रो. विनय पाठक ने साफ किया कि ये मामला कोर्ट में है और वे एफिडेविट जमा कर चुके हैं।
Published on:
26 Jun 2018 01:48 pm
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
