पीएम नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर बेहद महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी ने यहां के विकास के लिए कई योजना स्वीकृत की है। बीजेपी इसी शहर को विकास मॉडल बना कर चुनाव में प्रस्तुत करने वाली है ऐसे में इस शहर की व्यवस्था पर सबकी निगाह लगी रहती है। कुछ समय पहले तक इस शहर को अधिकारियों के सेफ जोन माना जाता था। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा अधिकारी इस क्षेत्र में पहुंच जाता था तो फिर आराम से उसके दिन कटते थे। चाहे शहर में कुछ भी हो जाये। कुर्सी के कारण जिम्मेदार होने पर भी अधिकारी को कुछ नहीं होता था। सीएम योगी सरकार के साल भर में यह परम्परा चली आ रही थी लेकिन यूपी में तीन संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में मिली हार व अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन के चलते बीजेपी को विवश होकर व्यववस्था में बदलाव करना पड़ रहा है। जम्मू कश्मीर में पीडीपी से गठबंधन तोड़ कर भगवा दल ने नयी रणनीति पर काम किया है उसकी तपिश अब बनारस में भी महसूस हो रही है।
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बीएचयू के कुलपति से शुरू हुआ था अभियान, आज भी जारी है
बीएचयू के पूर्व वीसी प्रो.जीसी त्रिपाठी व संघ का संबंध किसी से छिपा नहीं था। पूर्व वीसी ने सार्वजनिक मंच से इस बात को स्वीकार किया था। संघ के आशीर्वाद के चलते ही उन्हें बीएचयू जैसे विश्वविद्यालय के वीसी की कुर्सी मिली थी लेकिन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये। सपा सरकार के समय ही तैनात जिले के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने एक मंत्री के साथ संघ की भी छाया पायी थी और आराम से जिले में काम कर रहे थे। फ्लाईओवर हादसा हो या फिर विकास परियोजना में देरी। पूर्व अधिकारी पर कभी सवाल नहीं उठा था लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 की बात आयी तो पूर्व अधिकारी को जिले से जाना पड़ा। संघ से निकट संबंध होने के चलते एक पूर्व अधिकारी भी बनारस में तैनाती करने में सफल हुए थे। मेयर श्रीमती मृदुला जायसवाल के साथ हुई घटना हो या फिर आम नागरिकों के मन में सुरक्षा का भाव पैदा करना। इन मामलों में अधिक सफलता नहीं मिली थी लेकिन जब समय ने साथ छोड़ा तो संघ भी काम नहीं आया ओर शहर से तबादला हो गया। इन अधिकारियों की जगह महाराष्ट्र व संघ से जुड़े खास लोगों को ही भेजा गया है जबकि यूपी के अन्य जिलों में तैनाती के दौरान इन अधिकारियों ने ऐसी नजीर नहीं पेश की थी जो चर्चा में आने का कारण बनती। संघ की कृपा मिली और पीएम का शहर मिल गया है अब देखना है कि लोकसभा चुनाव 2019 तक बदलाव की यही बयार अन्य विभागों में भी बहेगी या फिर प्रशासन पर पर्दे के पीछे से संघ का हस्तक्षेप बढ़ता ही जायेगा।
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बीएचयू के पूर्व वीसी प्रो.जीसी त्रिपाठी व संघ का संबंध किसी से छिपा नहीं था। पूर्व वीसी ने सार्वजनिक मंच से इस बात को स्वीकार किया था। संघ के आशीर्वाद के चलते ही उन्हें बीएचयू जैसे विश्वविद्यालय के वीसी की कुर्सी मिली थी लेकिन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये। सपा सरकार के समय ही तैनात जिले के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने एक मंत्री के साथ संघ की भी छाया पायी थी और आराम से जिले में काम कर रहे थे। फ्लाईओवर हादसा हो या फिर विकास परियोजना में देरी। पूर्व अधिकारी पर कभी सवाल नहीं उठा था लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 की बात आयी तो पूर्व अधिकारी को जिले से जाना पड़ा। संघ से निकट संबंध होने के चलते एक पूर्व अधिकारी भी बनारस में तैनाती करने में सफल हुए थे। मेयर श्रीमती मृदुला जायसवाल के साथ हुई घटना हो या फिर आम नागरिकों के मन में सुरक्षा का भाव पैदा करना। इन मामलों में अधिक सफलता नहीं मिली थी लेकिन जब समय ने साथ छोड़ा तो संघ भी काम नहीं आया ओर शहर से तबादला हो गया। इन अधिकारियों की जगह महाराष्ट्र व संघ से जुड़े खास लोगों को ही भेजा गया है जबकि यूपी के अन्य जिलों में तैनाती के दौरान इन अधिकारियों ने ऐसी नजीर नहीं पेश की थी जो चर्चा में आने का कारण बनती। संघ की कृपा मिली और पीएम का शहर मिल गया है अब देखना है कि लोकसभा चुनाव 2019 तक बदलाव की यही बयार अन्य विभागों में भी बहेगी या फिर प्रशासन पर पर्दे के पीछे से संघ का हस्तक्षेप बढ़ता ही जायेगा।
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