
Birthday Special - प्रोफेसर से रक्षामंत्री तक का सफर तय करने वाले राजनाथ हैं सियासत की दुनिया के राजा
लखनऊ.भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कद्दावर नेताओं की जब भी बात होती है तो उसमें राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) का भी जिक्र होता है। राजनाथ सिंह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बाद पार्टी में सबसे पावरफुल और जनाधार वाले नेता माने जाते हैं। आज राजनाथ सिंह का 69वां जन्मदिन है और इस उम्र में भी वो उतनी ही शिद्दत और फुर्ती के साथ अपना काम करते हैं, जैसे पहले किया करते थे। राजनाथ सिंह के कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्णू आडवाणी के बाद ऐसे नेता हैं जो पार्टी की कमान दो बार संभाल चुके हैं।
इसी तरह की कुछ और खास बातें हैं राजनाथ सिंह के बारे में। तो चलिए जानते हैं कि राजनाथ सिंह ने सियासत की दुनिया में किस तरह अपना सिक्का जमाया।
राजनीति से पहले शिक्षा क्षेत्र में दी सेवाएं
बनारस के पास चंदौली जिले में जन्मे राजनाथ सिंह एक कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते रहे हैं। राजनाथ सियासत में कदम रखने से पहले मिर्जापुर के कालेज में प्रोफेसर रहे हैं। लेकिन बचपन से संघ के आंगन में पले बढ़े हैं। बीजेपी के मातृ संगठन के रूप में मशहूर आरएसएस से राजनाथ की करीबी जगजाहिर है। आरएसएस के साथ उनके बेहतर रिश्ते का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आडवाणी के जिन्ना प्रकरण के बाद संघ ने राजनाथ को ही पार्टी के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी।
इसके बाद दूसरी बार बीजेपी की कमान राजनाथ सिंह ने तब संभाली थी जब पूर्ती मामले में नितिन गडकरी का नाम सामने आया था। काफी दिलचस्प बात है कि राजनाथ सिंह के अध्यक्षकाल में ही 2013 में प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम पर मुहर लगी थी। राजनाथ सिंह ने आगे आकर नरेंद्र मोदी के नाम पर सहमति जताई थी।
शिक्षा मंत्री के तौर पर किए गए काम
अगर बात करें राजनाथ सिंह की पढ़ाई की तो राजनाथ सिंह ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकि के विषय में पोस्ट ग्रैजुएशन किया है। राजनीति में आने से पहले वे केबी डिग्री कालेज में प्रोफेसर के पद पर तैनात थे। हालांकि, वह प्रोफेसर थे लेकिन उनकी रुचि राजनीति में भी थी। यही वजह है कि 1975 में इमरजेंसी काल के दौरान जेल में बंद राजनाथ सिंह को बाद में जन संघ का जिलाध्यक्ष बनाया था। यहीं से राजनाथ सिंह ने अपने सियासी करियर की शुरूआत की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उत्तर प्रदेश में शिक्षा मंत्री के तौर पर किए गए कामों को लेकर आज भी राजनाथ सिंह का फैसला काबिल-ए-तारीफ माना जाता है। 1991 में उन्होंने बतौर शिक्षा मंत्री एंटी-कॉपिंग एक्ट लागू करवाया था। साथ ही वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में भी शामिल करवाने का श्रेय उन्हीं को जाता है।
राजनाथ सिंह 20 अक्टूबर 2000 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। हालांकि उनका कार्यकाल 2 साल से भी कम समय के लिए रहा। केंद्र में जब वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार बनी तब राजनाथ सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया था। इसके बाद 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो देश के गृह मंत्री बनकर मोदी कैबिनेट में दूसरे नंबर के नेता बन कर रहे।
मोदी कैबिनेट 2.0 में भी राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री के तौर पर अपनी भूमिका को बखूबी निभा रहे हैं। बात राफेल विमान के भारत में आने की हो या भारत-चीन के बीच उपजे तनाव की, राजनाथ सिंह ने अपनी हर भूमिका बखूबी निभाई है।
Published on:
10 Jul 2020 07:00 am
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