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लखनऊ से कानपुर तक चलेगी रैपिड रेल… 50 मिनट में पूरा होगा 2 घंटे का सफर, 4 महीने में तैयार होगा DPR

लखनऊ से कानपुर के बीच रैपिड रेल चलेगी। अब यात्रा का समय 2 घंटे की जगह घटकर 50 मिनट रह जाएगा। Detailed Project Report आने में 4 से 6 महीने तक का समय लगेगा।

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लखनऊ : लखनऊ और कानपुर के बीच सफर करने वाले यात्रियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस की तर्ज पर अब इन दोनों प्रमुख शहरों के बीच भी 67 किलोमीटर लंबा हाई-स्पीड रैपिड ट्रांजिट कॉरिडोर प्रस्तावित किया गया है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही यात्रा का समय 2 घंटे से घटकर मात्र 50 मिनट रह जाएगा।

राज्य के आवास विभाग ने उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन और उन्नाव-शुक्लागंज विकास प्राधिकरण को इस परियोजना की वित्तीय व्यवहार्यता का मूल्यांकन करने के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Report) तैयार करने को कहा है। केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित इस परियोजना के लिए, आवास विभाग ने उत्तर प्रदेश सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मांगी है, जिसके बाद बोली प्रक्रिया के माध्यम से DPR तैयार करने के लिए एक निजी सलाहकार नियुक्त किया जाएगा।

63 KM का बन रहा लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे

इसके अतिरिक्त, 63 किलोमीटर लंबा छह-लेन लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे भी निर्माणाधीन है, जिससे दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय काफी कम होने की उम्मीद है। यह परियोजना अब लगभग पूरी होने वाली है और जल्द ही खुलने वाली है। यह लखनऊ से बनी, कांथा, अमरसास को जोड़ते हुए कानपुर में आजाद मार्ग के पास समाप्त होगी।

इस प्रस्तावित रैपिड रेल कॉरिडोर का रूट कानपुर के नयागंज से शुरू होकर लखनऊ के अमौसी तक रहेगा। दोनों ही लोकेशन मौजूदा मेट्रो नेटवर्क से जुड़े हैं, जिससे आगे की कनेक्टिविटी को और मजबूत किया जा सकेगा।

परियोजना की कुल लागत, अनुमानित ट्रैफिक वॉल्यूम (यात्री संख्या), प्रतिदिन आने-जाने वालों की संख्या, वाणिज्यिक गतिविधियों से होने वाला संभावित राजस्व, आवश्यक भूमि और अधिग्रहण लागत, अधिकारियों के अनुसार इन सब की जानकारी DPR तैयार करने के बाद मिलेगी। DPR तैयार करने में अभी 6 महीने तक का समय लगेगा।

9 सदस्यीय टीम का किया गया गठन

परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए आवास विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति में लखनऊ, कानपुर और उन्नाव के विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष, तीनों जिलों के जिलाधिकारी, राज्य के मुख्य नगर नियोजक और आवास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।

यह समिति केंद्र सरकार के साथ समन्वय करेगी और विभिन्न सरकारी एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करने की प्रक्रिया भी तेज़ी से पूरा कराएगी।

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