सरकार द्वारा इस सुविधा को लागू करने से राशनकार्ड धारक अपने शहर की किसी भी राशन की दुकान पर जाकर सस्ता गेहूं-चावल ले सकेंगे। सरकार की इस योजना से राशन वितरण में पारदर्शिता आएगी और गरीब कार्डधारकों को सबसे अधिक फायदा होगा। डीएसओ लखनऊ सुनील कुमार सिंह का कहना है कि लखनऊ में दो दिन तक इसकी जांच सफलता पूर्वक हुई है। रविवार 5 जनवरी से प्रदेश के 6 जिलों में जनपदीय पोर्टेबिलिटी व्यवस्था लागू हो गई है।
कहीं भी जाकर ले सकेंगे राशन सामग्री
प्रदेश के मजदूर व किसानों को राशन पोर्टेबिलिटी की योजना का सबसे बड़ा फायदा मिलेगा। कार्डधारक राशन वितरण की तारीख पर अगर अपनी रिस्तेदारी में बाराबंकी, कानपुर, उन्नाव या अन्य तीन जिलों में जाता है तो वह वहीं के कोटेदार से गेहूं-चावल खरीद सकता है। इसके साथ ही डीएसओ सुनील सिंह का कहना है कि ग्रामीणों को राशन के लिए किसी एक कोटेदार पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अगर कोटेदार राशन नहीं देता है तो वह इसकी शिकायत भी करें। जिससे कोटेदारों की लापरवाही पर भी कड़ी कार्रवाई की जा सके।
कोटेदारों का एकाधिकार होगा खत्म
प्रदेश के हर शहर और ग्रामीण क्षेत्र में राशन पोर्टबिलिटी शुरू होने के बाद अब अंतर जनपदीय राशन पोर्टेबिलिटी लागू होने से कोटेदारों का एकाधिकार भी हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा। इससे आने वाले दिनों में गांव की राजनीति पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा। देखने में यह भी सामने आया है कि गांवों में प्रधान और कोटेदार का और शहरों में पार्षद, सभासद व कोटेदारों का मजबूत गठजोड़ होता है। गांवों में प्रधान के पक्ष वालों को राशन मिलने में कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन प्रधान के खिलाफ ग्रामीणों को इसकी कीमत चुकानी पड़ जाती है। इसी को देखते हुए सरकार ने इस योजना को लागू किया है।
इन जिलों में सुविधा हुई लागू
सरकार ने लखनऊ सहित प्रदेश के उन्नाव, कानपुर नगर, बाराबंकी, गौतमबुद्धनगर व हापुड़ में अंतर जिला राशन पोर्टेबिलिटी की सुविधा लागू की है। जिससे वहीं के गरीबों की सारी परेशानियां खत्म हो सकें और समय से किसी भी राशन की दुकान से अपना राशन ले सकते हैं।