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रिवर फ्रंट घोटाला: कमीशन में हेरफेर, रिश्तेदारों के खाते में जमा की गई रकम

रिवर फ्रंट घोटाले में मुख्य भूमिका निभाने वाले अभियंता रूप सिंह यादव और राजकुमार यादव से रिमांड के दौरान सीबीआई ने उनसे कई सारे सवाल पूछे जिसमें उनको कई अहम जानकारियां मिली हैं। अभियंता से अनियमितता से कमीशनखोरी की रकम लेने को लेकर कई तरह के सवाल किए गए।

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रिवर फ्रंट घोटाला: कमीशन में हेरफेर, रिश्तेदारों के खाते में जमा की गई रकम

रिवर फ्रंट घोटाला: कमीशन में हेरफेर, रिश्तेदारों के खाते में जमा की गई रकम

लखनऊ. रिवर फ्रंट घोटाले में मुख्य भूमिका निभाने वाले अभियंता रूप सिंह यादव और राजकुमार यादव से रिमांड के दौरान सीबीआई ने उनसे कई सारे सवाल पूछे जिसमें उनको कई अहम जानकारियां मिली हैं। अभियंता से अनियमितता से कमीशनखोरी की रकम लेने को लेकर कई तरह के सवाल किए गए। अभियंता के बताए गए जवाब में कमीशन में 100 करोड़ लेने और कमीशन की रकम से चल अचल संपत्ति बनाने की बातें व तथ्य सामने आए हैं। सीबीआई ने उसने पूछा कि डेढ़ हजार करोड़ से अधिक की लागत की इस परियोजना में 90 फीसदी बजट सिर्फ 60 फीसदी काम पर खर्च कर दिया गया। किसी भी परियोजना में हर काम के लिए अलग मद निर्धारित किया जाता है। परियोजना के कार्य और व्यय पर लेखा की नजर होती है। हर एक कदम की रिपोर्ट व जानकारी सरकार को भेजी जाती है। ऐसे में वह लोग किस तरह मनमानी कर सके। उनकी मनमानी पर किसी तरह की आपत्ति क्यों नहीं हुई। सीबीआई ने पूछा कि इस अनियमितता में कमीशन कि जो बंदरबांट हुई उसमें कौन-कौन शामिल था।

परिवार के सदस्यों के नाम पर निवेश का आरोप

आरोपी अभियंता ने सीबीआई को बताया कि कमीशनखोरी की रकम परिवार के सदस्यों के नाम पर निवेश की गई है।इसे आरोपियों ने आयकर की धाराओं की आड़ में कानूनी जामा पहनाने की कोशिश की। इससे पहले भी ईडी ने मुकदमे में नामजद अभियुक्तों से कमीशन की रकम और उसके निवेश के बारे में पूछताछ की थी। बता दें कि घोटाले के समय सिंचाई विभाग में अधीक्षण अभियंता रहे रूप सिंह यादव की रिवर फ्रंट परियोजना के संचालन में बड़ी भूमिका थी। बाद में वह मुख्य अभियंता के पद से विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे। इसी तरह राजकुमार यादव विभाग में वरिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत रहते हुए परियोजना की स्वीकृतियों व भुगतान की प्रक्रिया से जुड़े हुए थे।

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