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SAKAT CHAUTH 2018 : संकष्टी चतुर्थी का शुक्रवार के दिन पड़ना माना गया शुभ, होेगी सारी मनोकामनाएं पूर्ण

माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी आज शुक्रवार के दिन संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ का पड़ना बहुत ही शुभ माना गया है।

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sakat chauth 2018

Neeraj Patel

Sankashti Chaturthi 2018: संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ आज 5 जनवरी दिन शुक्रवार को है। आज शुक्रवार के दिन संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ का पड़ना बहुत ही शुभ माना गया है। इस संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ के पर्व पर महिलाएं अपने परिवार की सुख और समृद्धि के लिए निर्जल व्रत रखा और गणेश जी की पूजा भी की। जिससे उनके परिवार पर कभी भी किसी तरह से कोई परेशानी न आए। यह दिन माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी , तिलकूट चतुर्थी , संकटा चौथ, तिलकुट चौथ के नाम से जाना जाता हैं। ये भी कहा कि इस व्रत करने से घर में होने वाली सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन घर की महिलाएं घर व मंदिर की सफाई करने के बाद ख़ुद नित्य क्रिया से निपट कर भगवान गणेश का स्मरण किया। इस दिन की कई व्रत कथाएं भी हैं जिसे व्रत करने वाली महिलाओं को पंण्डित द्वारा सुना है।

गणपति के हर व्रत, संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ त्योहार का विशेष महत्व होता है। आम दिनों में भी की गणपति बप्पा की पूजा शुभ फलों को प्रदान करती है। इस बार 2018 में सकट चौथ, माघ संकष्टी, संकष्टी गणेश चतुर्थी, सकट चौथ व्रत 5 जनवरी दिन शुक्रवार को पड़ रहा है। इसे तिल चौथ या तिलकुट चौथ, गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत धारण करने से जीवन के सभी कष्टों का निदान होता है। मनुष्य सत्कर्म के मार्ग पर चलता है और उसकी संतान को यश एवं मान-सम्मान प्राप्त होता है। साल के 12 माह के क्रम में यह सबसे बड़ी चतुर्थी मानी जाती है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से सौभाग्य और सुख की दृष्टि से अति उत्तम बताया गया है।

कृष्ण पक्ष चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है और प्रत्येक कृष्ण पक्ष चतुर्थी पर श्रद्धालुओं की पूजा करते हुए संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ का आयोजन किया जाता है। हालांकि, माघ के महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्थी साकार चौथ के रूप में भी मनाया जाता है और यह उत्तर भारतीय राज्यों में मुख्य रूप से देखा जाता है। सकट चौथ देवी सप्त को समर्पित है और महिलाओं को उसी दिन उपवास के लिए उनके पुत्रों की भलाई का पालन करते हैं। सकट चौथ की किंवदंती देवी सकाट के दयालु स्वभाव का वर्णन करती है।

इन सामग्रियों का होता है इस्तेमाल

सकट चौथ के व्रत में पूजन सामग्री के अलावा गुड़, तिल, शकरकंद और फलों का विशेष रूप से उपयोग होता है। इस दिन तिल और लाई के लड्डू भी भगवान गणेश को अर्पित किये जाते हैं। तिल को भूनकर उसे गुड़ की चाशनी में मिलाकर तित का लड्डू बनाया जाता है और फिर से भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि पूजन से प्रसन्न होकर प्रथम पूज्य गणेश जी अपने भक्तों के सभी कष्टों को क्षण में दूर करते हैं।

संतान की सफलता के लिए रखा जाता है व्रत

संतान की सफलता के लिए माताएं सकट चौथ व्रत को निर्जला रहती हैं। व्रती महिलायें शाम को गणेश पूजन और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही वो प्रसाद के साथ भोजन करती हैं। महाभारत काल में श्रीकृष्ण की सलाह पर पांडु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने सबसे पहले इस व्रत को रखा था। तबसे अब तक महिलाएं अपने पुत्र की कुशलता के लिए इस व्रत को रखती हैं।

ऐसे करें पूजा

1. गणपति का पूजन करते वक्त अपना मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखें।
2. गणपति की पीठ के दर्शन ना करें।
3. दुर्वा, पुष्प, रोली, फल सहित मोदक व पंचामृत को पूजन में शामिल करें।
4. गणपति को विधिवत स्नान करके उनका पूजन करें।
5. इस दिन तिल के लड्डू चढ़ाने का भी विशेष महत्व है। मोदक के साथ इन्हें भी पूजन में अर्पित करें।
6. पूजन के वक्त संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा अवश्य सुनें, एवं गणपति की आरती भी करें।
7. ॐ गणेशाय नम: अथवा ॐ गं गणपतए नम:, मंत्र का जाप अतिशुभ माना जाता है।

संकटा चौथ पौराणिक कथा

माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी गणेश चतुर्थी, तिलकूट चतुर्थी, संकटा चौथ, तिलकुट चौथ व्रत को लेकर एक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि सत्यवादी राजा हरिशचंद्र के राज में एक ब्राम्हण व उसकी पत्नी भी रहते थे। एक समय उनका एक पुत्र की प्राप्ति हुई और कुछ समय बाद वे मृत्यु को प्राप्त हो गए। ब्राम्हणी दुखी लेकिन पुत्र के जीवन को संवारना ही उसका लक्ष्य था। अतः वह गणपति का चौथ का व्रत रखते हुए उसकी परवरिश करने लगी। एक दिन एक कुम्हार ने बच्चे की बलि अपनी कन्या के विवाह के उद्देश्य से धन के लिए दे दी। इसके बाद वह कष्टों में घिर गया जबकि बच्चा खेलता हुआ मिला। यह वृत्तांत जब राजा हरिशचंद्र को सुनाया गया तो वह उसने व्रत की महिमा बताई।

पंडित दिलीप दुवे ने बताया कि 'तिल चौथ' सकट चौथ पर चंद्रोदय का समय रात्रि 8.20 मिनट पर शुभ मुहूर्त हैं इसमें चन्द्रमा को जल अर्पित किया जाता हैं उसके बाद ही व्रत खोलकर खाना खाया जाता हैं। सबसे पहले भगवान् गणेश की मूर्ति को पंचामृत से स्नान करने के बाद फल, लाल फूल, अक्षत, रोली, मौली अर्पित करें और फ़िर तिल से बनी वस्तुओं अथवा तिल-गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाकर भगवान गणेश की स्तुति की जाती है। सकट चौथ पर 108 बार गणेश मंत्र - 'ॐ गणेशाय नमः' का जप करें, अपने हर दुःख को भगवान गणेश से कहे। इससे आप पर आने वाली हर एक विपदा का समाधान होगा और जो भी परेशानियां चली आ रही हैं उससे भी मुक्ति मिलेंगी।