
लखनऊ. UP Assembly Elections 2022- यूपी चुनाव 2022 नए बदलावों का वाहक होगा। ने केवल चुनाव प्रचार का तरीका बदला है बल्कि पार्टियां भी खुद को नये कलेवर में पेश कर रही हैं। खासकर, प्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने आप को एक तरह से नये वर्जन (2.0) में पेश किया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस बार अनुभव को तरजीह दे रहे हैं तो बसपा सुप्रीमो मायावती युवाओं के सहारे मिशन 2022 फतेह करने की तैयारी में हैं। जानिए, इस बार सपा-बसपा 2.0 में क्या-क्या पांच अहम बदलाव हुए हैं।
बहुजन समाज पार्टी 2.0
1- युवाओं को टिकट
मायावती इस बार 50 फीसदी युवाओं को यूपी विधानसभा चुनाव में टिकट देने की तैयारी में हैं। इसके दो कारण हैं। पहला 2022 में करीब 40 फीसदी युवा वोटर होंगे। दूसरा, दलित युवाओं के बीच आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर का बढ़ता कद है।
2. सोशल मीडिया पर सक्रिय
मायावती को चुनाव में सोशल मीडिया की ताकत का अंदाजा हो गया है। अब वह सोशल मीडिया के जरिए लोगों से से संपर्क बना रही हैं। ट्विटर पर मायावती के 2.1 मिलियन फॉलोअर्स हैं। चुनावी मौसम में बसपा सोशल मीडिया पर और फोकस कर रही है।
3. ब्राह्मणों पर फोकस
मायावती इन दिनों ब्राह्मणों को रिझाने और अपने खेमे में शामिल करने की कवायद में जुटी हैं। नतीजन, कभी हिंदू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म अपनाने की बात करने वाले बसपा नेता अब मंदिर बनवाने की बात कर रहे हैं। इसके लिए बसपा ने सतीश मिश्रा को आगे किया है।
4. महिलाओं पर जोर
बसपा में महिला नेताओं की कमी रही है, लेकिन इस बार सतीश मिश्रा की पत्नी कल्पना मिश्रा को आगे कर महिलाओं के बीच पैठ बनाने की पहल की है। ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब पार्टी में मायावती के अलावा किसी और महिला नेता की बात हो रही है।
5. नये नेतृत्व पर भरोसा
मायावती ने इस बार नये नेतृत्व को आगे किया है। उन्होंने अपने भतीजे आनंद व सतीश मिश्रा के बेटे कपिल मिश्रा को पार्टी में शामिल किया है। आनंद पूरे सूबे में चुनाव प्रचार करेंगे वहीं, कपिल मिश्रा ब्राह्मण युवाओं को जोडऩे का काम करेंगे।
समाजवादी पार्टी 2.0
1. एमवाई फॉर्मूले की बदली परिभाषा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एमवाई (मुस्लिम-यादव) फॉर्मूले की परिभाषा बदल दी है। उन्होंने कहा, नेताजी ने फॉर्मूले को हमने बदल दिया है। अब अब 'एम' का मतलब महिला और 'वाई' का मतलब यूथ है। 2022 में यही मिलकर सपा की सरकार बनाएंगे।
2. गैर यादवों को भी प्रतिनिधित्व
सपा 'यादवों की पार्टी' है, अखिलेश इस ठप्पे से छुटकारा पाना चाहते हैं। इसके लिए सपा की ओर से कुर्मी, मौर्य, निषाद, कुशवाहा, प्रजापति, सैनी, कश्यप, वर्मा, काछी, सविता समाज व अन्य पिछड़ी जातियों को जोडऩे का विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
3. सपा का ब्राम्हण प्रेम
मिशन 2022 फतेह के लिए समाजवादी पार्टी इस बार ब्राह्मणों को साधने की कोशिश कर रही है। पार्टी की ओर परशुराम और मंगल पांडेय की मूर्तियां लगवाई जा रही हैं। जिलों में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन भी किये जा रहे हैं। बड़ी संख्या में टिकट भी देने की तैयारी है।
4. अनुभव को वरीयता
अखिलेश यादव के सपा अध्यक्ष बनते ही पार्टी में अनुभवी नेताओं को साइड लाइन कर युवाओं पर फोकस किया गया था। लेकिन, अब सपा में वरिष्ठ नेताओं को तरजीह दी जा रही है। अनुभव के आधार पर पार्टी में उन्हें जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
5. जिताऊ कैंडिडेट्स पर फोकस
2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी जिताऊ कैंडिडेट्स पर फोकस कर रही है, फिर चाहे वह पार्टी के हों या फिर दूसरे दलों से आये नेता। बड़ी संख्या में दूसरे दलों से आये संभावित जिताऊ नेताओं को अभियान के तौर पर सपा में शामिल किया जा रहा है।
Updated on:
07 Oct 2021 01:22 pm
Published on:
07 Oct 2021 01:18 pm
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