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सपा संगठन में होगा बड़ा बदलाव, जाने क्या है अखिलेश का नया प्लान

पार्टी सूत्रों का कहना है कि पहले फ्रंटल संगठनों की कमेटियों को भंग कर नए सिरे से गठन होगा। इसके बाद मुख्य कमेटी में भी बदलाव होंगे। शीर्ष नेतृत्व की रणनीति है कि लंबे समय से पार्टी में संघर्षशील रहने वाले युवाओं को आगे किया जाए ताकि वह जनहित के मुद्दे को धमाकेदार तरीके से उठा सकें। सदन में विधायक जनता की आवाज बनेंगे तो सड़क पर संगठन खड़ा रहेगा। ताकि वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत का ग्राफ बढ़ाया जा सके।

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लखनऊ

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Prashant Mishra

May 01, 2022

Akhilesh Yadav said, inflation and unemployment at peak, a matter of concern

Akhilesh Yadav said, inflation and unemployment at peak, a matter of concern

लखनऊ. समाजवादी पार्टी में ईद के बाद बड़ा संगठनात्मक फेरबदल होगा। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश से लेकर जिला स्तर पर संगठन में नए और संघर्षशील चेहरों को तवज्जो दी जाएगी। पार्टी ऐसे लोगों को जिले की कमान सौंपने की तैयारी है जिनकी छवि साफ होने के साथ ही जुझारू होगे। इस मुद्दे पर शीर्ष नेतृत्व 11 जिले की स्थिति पर मंथन कर रहा है।

सपा ने विधानसभा चुनाव में 111 सीटें जीती जबकि 14 सीट सहयोगियों ने जीती हैं। इस तरह सदन में सपा गठबंधन के कुल 125 विधायक हैं। हालांकि, परिषद में उसे नेता प्रतिपक्ष का पद गंवाना पड़ा है। माना जा रहा है कि विधान परिषद चुनाव के बाद सभी कमेटियां भंग कर दी जाएंगी। लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने तत्काल कमेटी भंग करने के बजाए स्थिति का आकलन करना ज्यादा जरूरी समझा। इस क्रम में प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने महानगर अध्यक्षों एवं जिला अध्यक्षों से विधानसभा क्षेत्रवार हार के कारणों पर रिपोर्ट मांगी और सक्रिय सदस्यों की सूची भी तलब की है। ‌विधानसभा क्षेत्रवार आई रिपोर्ट पर शीर्ष नेतृत्व ने मंथन किया है। इसके बाद प्रदेश कार्यालय से एक रिपोर्ट राष्ट्रीय कार्यालय को भेजी गई है जिसके बाद अब बदलाव की तैयारी है।

नए सिरे से होगा गठन

पार्टी सूत्रों का कहना है कि पहले फ्रंटल संगठनों की कमेटियों को भंग कर नए सिरे से गठन होगा। इसके बाद मुख्य कमेटी में भी बदलाव होंगे। शीर्ष नेतृत्व की रणनीति है कि लंबे समय से पार्टी में संघर्षशील रहने वाले युवाओं को आगे किया जाए ताकि वह जनहित के मुद्दे को धमाकेदार तरीके से उठा सकें। सदन में विधायक जनता की आवाज बनेंगे तो सड़क पर संगठन खड़ा रहेगा। ताकि वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत का ग्राफ बढ़ाया जा सके।

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पुराने पैटर्न पर नहीं होगें जिलाध्यक्ष

सूत्रों का कहना है कि अब जिलों में पुराने पैटर्न पर जिला अध्यक्षों का मनोनयन नहीं होगा। जिले की कमान सौंपने से पहले उसकी नेतृत्व क्षमता का आकलन किया जाएगा। संबंधित व्यक्ति की स्वीकार्यता सामाजिक समीकरण पार्टी में कार्य करने की स्थिति संघर्ष आदि की कसौटी पर खरा उतरने वाले को ही जिले की कमान सौंपी जाएगी। कुछ ऐसी ही स्थिति फ्रंटल संगठनों की भी रहेगी।

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