
गंभीर व मध्यम कुपोषण से ग्रस्त बच्चों और माताओं की स्थिति में सुधार के लिए संभव अभियान चलेगा। इस बार अभियान की थीम "छह माह – सात बार" रखी गई है, जिसके अंतर्गत छह महीने से कम आयु के शिशुओं की सात बार जांच और निगरानी की जाएगी, ताकि समय रहते कुपोषण के लक्षणों की पहचान की जा सके और प्रभावी उपचार शुरू किया जा सके।
अभियान को स्वास्थ्य विभाग और बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग मिलकर संचालित करेंगे। इसके अंतर्गत आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर नवजातों और माताओं की स्थिति का मूल्यांकन करेंगे।
गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की प्रत्येक 15 दिन पर फॉलोअप जांच की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर उन्हें चिकित्सा केंद्रों पर रेफर किया जाएगा।
गर्भवती महिलाओं के लिए भी इस अभियान में महत्वपूर्ण पहल की गई है, जिनमें शामिल हैं:
अभियान में सांसद, विधायक, ग्राम प्रधान और पार्षदों जैसे जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है, ताकि पोषण के मुद्दे पर सामुदायिक जागरूकता को और मजबूती मिल सके।
Published on:
25 Jul 2025 08:03 pm
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