20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कॉमन सिविल कोड पर शबाना आज़मी ने दी खुली चुनौती

शबाना ने कहा कि नेता केवल पांच साल में एक बार चुनावी सभा में कॉमन सिविल कोड की बात करते हैं।

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Laxmi Narayan

Nov 19, 2017

shabana azmi

लखनऊ. कॉमन सिविल कोड की वकालत करने वालों को फिल्म अभिनेत्री और सोशल एक्टिविस्ट शबाना आज़मी ने चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि कॉमन सिविल कोड की वकालत करने वाले लोग इसका ब्लूप्रिंट तैयार करें और सबके सामने रखें। यह लैंगिक समानता पर आधारित होना चाहिए। शबाना ने कहा कि नेता केवल पांच साल में एक बार चुनावी सभा में कॉमन सिविल कोड की बात करते हैं। लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित लखनऊ साहित्य महोत्सव में 'भारत में नारीवाद' विषय पर आयोजित चर्चा में हिस्सा लेते हुए शबाना आज़मी ने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी।

महिला आरक्षण की वकालत

कार्यक्रम में बोलते हुए दहेज़ अधिनियम के दुरूपयोग के सवाल पर शबाना आज़मी ने कहा कि कितनी महिलाएं हैं, जिन्हें इस कानून का लाभ मिला। शबाना ने पूछा कि इस कानून के दुरूपयोग का प्रतिशत कितना है। जानकर बताते हैं कि इस कानून के दुरूपयोग का प्रतिशत 0.08 है। कानून के दुरूपयोग की बात गलत तरीके से उठाई जाती है। महिला आरक्षण के सवाल पर शबाना ने कहा कि जब समाज में किसी वर्ग का लम्बे समय तक दमन होता है तो उसकी प्रतिभा दब जाती है। महिलाओं के आरक्षण में दलित महिला, सामान्य महिला व अन्य वर्गों के विभेद के सवाल पर उन्होंने कहा कि पहले हमारा हक दीजिये। महिलाओं का आरक्षण जरूरी है। पंचायती राज में सरपंच के पदों पर महिलाओं के आने से बदलाव दिखाई दिया है। महिलाएं अलग तरह के मुद्दों को सम्बोधित कर रही हैं। मसलन पानी की व्यवस्था ठीक है या नहीं, स्वास्थ्य की समस्या का समाधान किस तरह होगा या ऐसे ही अन्य मुद्दे। संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण मिल जाने से समस्याओं का कोई जादुई समाधान नहीं होने जा रहा है लेकिन इससे संसद में महिलाओं से जुड़े विषयों को रखने का मौक़ा मिलेगा।

इंसानियत के खिलाफ है तीन तलाक

शबाना ने कहा कि तीन तलाक मानवता के खिलाफ है। यह गलत है और अन्यायपूर्ण है। ज्यादातर धार्मिक विधियां महिलाओं के खिलाफ है। कॉमन सिविल कोड पर चर्चा से पहले अल्पसंख्यक समुदाय को समानता के स्तर पर लाना होगा, जिससे वे खुद इसकी पहल करते हुए सामने आएं।