
Navratri के मौके पर प्रदेश के माँ दुर्गा के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। उत्तर प्रदेश में माँ दुर्गा के बहुत प्राचीन और सिद्ध मंदिर हैं। मगर इनमें से कुछ मंदिर ऐसे हैं जिनका वर्णन पुराणों में भी है और जो भारत के 51 शक्तिपीठ में भी स्थान रखते हैं। हांलाकि इन शक्तिपीठों में तो साल भर श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है मगर नवरात्रि के मौके पर माँ दुर्गा के इन शक्तिपीठों में तो तिल रखने की भी जगह नहीं मिलती।
पुराणों के मुताबिक जहाँ-जहाँ देवी सती के अंग के टुकड़े और वस्त्र गिरे, उन स्थानों को शक्तिपीठ कहा गया। देवी भागवत में 108 शक्तिपीठों का वर्णन है तो देवी गीता में 72 शक्तिपीठों की चर्चा है। वहीं देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों की जानकारी दी गयी है। ज्यादातर धर्म मर्मज्ञ 51 शक्तिपीठों को मान्यता देते हैं।
उत्तर प्रदेश के शक्तिपीठ
आइये देखते हैं कि इन 51 शक्तिपीठों में से वो कौन-कौन से शक्तिपीठ हैं जो उत्तर प्रदेश में हैं और वे कहाँ स्थित हैं -
प्रयाग शक्तिपीठ, प्रयागराज
प्रयागराज शहर के संगम तट पर माता की हाथ की अँगुली गिरी थी। यहाँ तीन मंदिरों को शक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति ‘ललिता’ के हैं। इस शक्तिपीठ को ललिता के नाम से भी जाना जाता हैं।
विशालाक्षी शक्तिपीठ, वाराणसी
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदि’ से कुछ ही दूरी पर विशालाक्षी मंदिर स्थित है। यहाँ पर देवी सती के कान के मणिजड़ीत कुंडल गिरे थे। इसलिए इस जगह को ‘मणिकर्णिका घाट’ कहते है। यहाँ देवी को विशालाक्षी मणिकर्णी और भैरव को काल भैरव रूप में पूजा जाता है।
रामगिरि शक्तिपीठ, चित्रकूट
चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर रामगिरि शक्तिपीठ है। यहाँ माता का दायाँ स्तन गिरा था। यहाँ माता सती को शिवानी और भैरव को चंड कहते हैं। माता का हार गिरने के कारण कुछ मैहर (मध्य प्रदेश) के शारदा देवी मंदिर को शक्तिपीठ मानते हैं, तो कुछ चित्रकूट के शारदा मंदिर को शक्तिपीठ मानते हैं। ये दोनों ही स्थान तीर्थ माने गए हैं।
श्री उमा शक्ति पीठ, वृन्दावन
मथुरा जिले के वृंदावन तहसील श्री उमा शक्ति पीठ स्थित है। इसे कात्यायनी शक्तिपीठ भी कहते है। इस पवित्र स्थान पर माता के बाल के गुच्छे और चूड़ामणि गिरे थे। यहाँ राधारानी ने भगवान श्रीकृष्ण को पाने के लिए पूजा की थी। यहाँ माता सती है उमा और भैरव को भूतेश कहते हैं।
पंच सागर शक्तिपीठ, वाराणसी
वाराणसी में माँ वराही पंच सागर शक्तिपीठ स्थित है। इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है, लेकिन यहां माता का नीचे के दान्त गिरे थे। यहां की शक्ति माता वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं। देवी वराही एक बोना का सिर है। वह अपने हाथ में एक चक्र, शंख, तलवार लिये रहती है।
पाटेश्वरी देवी शक्तिपीठ, बलरामपुर
पाटन देवी में मां का बायां स्कन्ध गिरा था. कुछ लोग यह मानते हैं कि इस स्थान पर जगदम्बा सती का पाटन वस्त्र गिरा था। देवी भागवत, स्कंद पुराण, कलिका पुराण और शिव पुराण में इस पवित्र और सिद्ध स्थान का वर्णन किया गया है। यहाँ एक अखंड ज्योति जल रही है जिसके बारे में मान्यता है कि ये त्रेता युग से लगातार जल रही है। इस स्थान की महत्ता इस वजह से ज्यादा है कि ये शक्तिपीठ के साथ योग पीठ भी है। दरअसल नाथ सम्प्रदाय के आदि गुरु गोरखनाथ ने भगवान शिव की आज्ञा से इसी स्थान पर माँ जगदजननी की आराधना की थी। इसी वजह से ये स्थान शक्तिपीठ के साथ योगपीठ भी है।
Updated on:
10 Oct 2021 03:59 pm
Published on:
10 Oct 2021 02:11 pm
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