scriptCAG की रिपोर्ट में खुलासा, पिछले छह साल में 6 लाख बच्चों को किताबें मुहैया नहीं करा पाई यूपी सरकार | Six lakhs primary students not got books in uttarpradesh according to CAG Report | Patrika News

CAG की रिपोर्ट में खुलासा, पिछले छह साल में 6 लाख बच्चों को किताबें मुहैया नहीं करा पाई यूपी सरकार

locationलखनऊPublished: Jul 07, 2017 02:01:00 pm

Submitted by:

Prashant Srivastava

बेसिक शिक्षा के मामले में उत्तर प्रदेश का हाल बेहाल है। हाल ही में आई सीएजी की रिपोर्ट में कई चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।

primary school

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लखनऊ. बेसिक शिक्षा के मामले में उत्तर प्रदेश का हाल बेहाल है। हाल ही में आई सीएजी की रिपोर्ट में कई चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। यूपी 1 हज़ार 191 स्कूलों में लड़कों के लिए और 543 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है। यही नहीं सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में, वर्ष 2011 से लेकर 2016 के बीच 8वीं कक्षा तक पहुंचते- पहुंचते 1 करोड़ 21 लाख 29 हज़ार 657 बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया।

समय पर छह साल से नहीं मिली किताबें

पिछले 6 वर्षों में सरकार 6 लाख बच्चों को सही वक्त पर किताबें उपलब्ध करवाने में नाकाम रही है। पिछले 6 वर्षों में 97 लाख बच्चों को स्कूल की यूनिफॉर्म उपलब्ध नहीं करवाई गई। सीएजी की ये रिपोर्ट बताती है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था की नींव कितनी खोखली है और जब नींव ही खोखली हो तो एक मज़बूत इमारत की कल्पना कैसे की जा सकती है।

सीएजी रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि उत्तर प्रदेश के 57 हज़ार 107 स्कूलों की बाउंड्री नहीं है. इसके अलावा 50 हज़ार 849 स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है. 35 हज़ार 995 स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है और 2 हज़ार 978 स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। देश में स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय बनाने की मुहिम चल रही है, फिर भी उत्तर प्रदेश के 1 हज़ार 191 स्कूलों में लड़कों के लिए और 543 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है.

आपको याद दिला दें कि उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की बदहाल शिक्षा व्यवस्था देखकर अगस्त 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट को ये कहना पड़ा था कि यूपी के अधिकारियों, नेताओं और जजों के बच्चों को अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए ताकि सरकारी शिक्षा पद्धति में सुधार लाया जा सके।

न मिले जूते न बैग

दरअसल प्राइमरी स्कूलों का नया सत्र एक जुलाई से शुरू हुआ लेकिन शुरुआती दिनों में छात्रों को दिए जाने वाले नए बैग व जूते नहीं मिले। सरकार की ओर से करीब 1.80 करोड़ बैग व जूते छात्रों को बांटे जाने थे लेकिन सूत्रों के मुताबिक अभी सप्लायर की ओर से इतनी ज्यादा संख्या में बैग तैयार नहीं हो पाए हैं। इस कारण बैग व जूते छात्रों को बाद में बांटे जाएंगे।

पहले कहा जा रहा था कि अखिलेश सरकार के वक्त तैयार किए गए बैग को योगी सरकार बंटवा सकती है लेकिन बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने इससे इनकार कर दिया है। एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में अनुपमा ने कहा कि जब हमने नए बैग्स के लिए टेंडर फाइनल कर दिया है तो पुराने की क्या जरूरत है। छात्रों को अब नए बैग की बांटे जाएंगे।

टेंडर विवाद के कारण नहीं मिली किताबें

राजधानी लखनऊ के स्कूल में भी अभी तक बच्चे बिना किताबों के काम चला रहे हैं। यूनिफॉर्म भी सिर्फ कुछ ही स्कूलों में पहुंची है। खुद विभाग ने 29 अगस्त तक किताबें उपलब्ध कराने का टारगेट रखा है। सत्र की शुरुआत एक अप्रैल से हो चुकी है। यानी करीब आधा सत्र गुजर जाने के बाद स्कूलों को किताबें मिलेंगी। यही हाल बच्चों की नई यूनिफॉर्म का भी है। देर से किए टेंडर, विवाद भी कम नहीं इस बार भी किताबों के टेंडर को लेकर छपाई की प्रक्रिया काफी देर से शुरू हो पाई। जून के पहले सप्ताह में प्रकाशकों के साथ किताबों के लिए अनुबंध किया गया था। टेंडर की शर्तों के मुताबिक 90 दिनों के भीतर प्रकाशकों को किताबें पहुंचानी होती हैं।
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