
लखनऊ. रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 भारत की संसद का एक अधिनियम है जो घर खरीदारों की रक्षा करना और साथ ही अचल संपत्ति उद्योग में बढ़ावा देने के लिए सहायता करता है। राज्य सभा द्वारा 10 मार्च 2016 को और लोकसभा द्वारा 15 मार्च 2016 को बिल पारित किया गया था। यह अधिनियम 1 मई 2016 से लागू हुआ था।
यह कानून डेवलपर्स के लिए परियोजना की योजना, लेआउट, सरकारी मंजूरी, भूमि शीर्षक स्थिति, परियोजना के उप-ठेकेदारों, राज्य रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (आरईआरए) के साथ पूरा होने के लिए समय सारिणी के लिए सभी जानकारी पोस्ट करने के लिए अनिवार्य बनाता है फिर इस जानकारी को उपभोक्ताओं को प्रदान करते हैं।
रेरा के महत्वपूर्ण बिन्दू
1. भारत सरकार द्वारा निहित भू-सम्पदा (विनिमय और विकास) अधिनियम, 2016 जम्मू और कश्मीर को छोड़कर दिनांक 01.05.2016 से पूरे देश में प्रभावी हो चुका है।
2. रेरा के तहत सभी विकासकर्ताओं को पंजीयन कराया जाना अनिवार्य है। इनमें सभी नवीन एवं चालू परियोजनाएं सम्मिलित हैं।
3. यदि कोई व्यक्ति ऐसी किसी परियोजना में निवेश करता है जो रेरा में पंजीकृत नहीं हैं तो उसे रेरा के प्रवधानों के अन्तर्गत सु नहीं मिल सकेगी। अत: रेरा में पंजीकृत योजनाओं में ही निवेश करना उपयुक्त है।
4. सभी विकासकर्ताओं को रेरा के तहत 500 वर्ग मी. से अधिक क्षेत्रफल अथवा आठ या उससे अधिक के फ्लैट/भवन की योजनाओं का पंजीयन कराया जाना अनिवार्य है। इनमें सभी नवीन एवं चालू परियोजनाएं सम्मिलित हैं।
5. कोई विकासकर्ता बिना रजिस्ट्रेशन के किसी भी परियोजना को क्रियान्वित लहीं करेगा अन्यथा इस स्थिति में विकास कर्ता पर अपराधिक कार्रवाई का भी प्रावधान है।
6. कोई भी आवंटी किसी भी विकास द्वारा चलाई जा रहीं योजना से सम्बन्धित सम्पूर्ण अद्यावधिक जानकारी रेरा की वेबसाइट www.up-rera.in पर प्राप्त कर सकते हैं।
7. आवंटियों को विकासकर्ताओं द्वारा घोषित वादों से भिन्नता होने पर रेरा में ऑनलाइन शिकायत की सुविधा है।
8. रेरा अधिनियम की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करने पर अर्थ दण्ड अथवा कारागार अथवा दोनों दण्ड का प्रावधान है।
9. विकासकर्ता एवं आवंटी के मध्य शासन द्वारा निर्धारित विक्रय अनुबन्ध पत्र हस्ताक्षरित करने का प्रावधान है।
10. यदि किसी आवंटी को इस आशय की सूचना प्रप्त होती है कि कोई विकासकर्ता बिना रेरा में रजिस्ट्रेशन कराए कोई नई योजना प्रारम्भ कर रहा है तो आवंटी उसकी सूचना सम्बन्धित प्राधिकरण/परिषद को देना सुनिश्चित करें।
11. रेरा का गठन आवेदकों/आवंटिओं के हितों के दृष्टिगत किया गया है। यदि कोई आवेदक किसी ऐसे विकासकर्ता/एजेंट से कोई क्रय-विक्रय करता है जो रेरा में रजिस्टर्ड नहीं है तो उसे रेरा के लाभों से वंचित रहना पड़ सकता है।
Published on:
10 Oct 2017 04:16 pm
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