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मरुधरा में गुलाब की संगत में पल्लवित हो रही चंदन की महक !

- वन विभाग ने मोहनगढ़ नर्सरी में चंदन के 200 पौधे किए तैयार -काजरी के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन से की कवायद

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jaisalmer

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जैसलमेर. सरहदी जैसलमेर की भूमि अब चंदन की खेती को रास आने लगी है। वन विभाग की ओर से इस सबंध में किए गए नवाचार सफल होने को है। जानकारों की माने तो वन विभाग की ओर से गत दो सालों से रेगिस्तानी क्षेत्र में चंदन के पौधे लगाने की कवायद की जा रही है, जिसमें दूसरे प्रयास में विभागीय जिम्मेदारों को सफलता हाथ लगी है। इंदिरा गांधी द्वितीय स्टेज के अधीन आने वाले वन क्षेत्र में 200 से अधिक चंदन के पौधे तैयार किए गए है। जिनमें से जिम्मेदारों को उम्मीद है कि 200 पौधे जीवित रहकर वन्य क्षेत्र में लहलहाने लगेंगे।
दूसरी बार में मिली सफलता
जानकारों की मानें तो वन विभाग की ओर से पहली बार चंदन के पौधे पनपाने का प्रयास असफल रहा था, लेकिन दूसरी बार उन्होंने रेगिस्तानी मिट्टी में चंदन के पौधों को पनपाने के लिए काजरी के वैज्ञानिकों से सलाह लेकर नर्सरी में कलम पद्धति से पौधों को तैयार किए, जो सफल रहे। अब चंदन के पौधों को परिपक्वता प्राप्त करने पर इन्हें जमीन में रोपित किया जाएगा।
्रगुलाब की संगत में पल्लिवत चंदन
विशेषज्ञों के अनुसार चंदन की पौधों की शृंखला को गुलाब के पौधों के साथ उगाने का प्रयोग सफल रहा। इससे पहले प्लास्टिक बैग में चंदन को अकेले को बोया गया था, जिससे वह कुछ दिन बाद ही नष्ट हो गया, लेकिन वैज्ञानिको के तर्क के बाद चंदन को गुलाब के पौधों के साथ लगाया गया, जो सफल रहा। अब गुलाब की संगत में चंदन को नवजीवन मिल गया है और उम्मीद है कि चंदन के पौधों की महक मरुधरा को गुलजार करेगी।
नहर किनारें लगाए जाएंगे चंदन
जानकारों के अनुसार जिले की जीवन दायिनी मानी जानी वाली इंदिरा गांधी नहर का प्रवाह गर्मी के दिनों में चलने वाली आंधियों की रेत से नहर के पानी का प्रवाह कम हो जाता है। जिससे निजात पाने के लिए लंबे समय से रेत के प्रवाह को नहर में जाने से रोकने की कवायद की जा रही थी। अब नहर के किनारे चंदन के पौधे लगाकर रेत को नहर में जाने से रोका जाएगा।
पहली बार किए चंदन के पौधे तैयार
जानकारों के अनुसार ऐसा पहली बार हुआ है जब जैसलमेर में वन विभाग ने चंदन पौधे तैयार करवाए हैं। जानकारों के अनुसार आगामी एक साल तक इन पौधों की नर्सरी में देखरेख की जाएगी। इसके बाद इन पौधों को वन विभाग की नर्सरी व विभागीय रेंज अधिकारियों के घरों के आगे व पार्क में इन्हें लगाया जाएगा। यहां सफलता मिलने के बाद चंदन को बड़े स्तर पर उगाया जाएगा। जानकारों के अनुसार जैसलमेर की मिट्टी में चंदन उगाने का प्रयोग सफल रहता है तो वनविभाग की यह बड़ी कामयाबी होगी।
कमाई में अव्वल
जानकारों के अनुसार बीस साल बाद चंदन का पौधा हर साल कमाई देने वाला बन सकता है। चंदन के पौधे को पनपने के लिए नमी युक्त वातावरण चाहिए। जैसलमेर के इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में पानी की पर्याप्तता के चलते जमीन में नमी बनी रहती है, जो चंदन के पौधे लगाने के लिए अनुकूल हो सकती है।


की जा रही कवायद
हमारी ओर से दो सालों से जैसलमेर के मोहनगढ़ की नर्सरी में चंदन के पौधे तैयार करने की कवायद की जा रही है। पहले प्रयास में असफलता मिली थी, लेकिन दूसरी बार गुलाब के पौधे के साथ चंदन को उगाने का प्रयोग सफल रहा। वर्तमान में 200 से अधिक चंदन के पौधे सफलतापूर्वक तैयार है। आने वाले समय में जैसलमेर का नहरी क्षेत्र चंदन की सुगंध से गुलजार होने की उम्मीद है।
- सुदीप कौर, उपवन संरक्षक इंदिरा गांधी नहर द्वितीय स्टेज, जैसलमेर