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मंदिर और हवन के सहारे ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ के रास्ते पर सपा, बीजेपी से मुकाबले के लिए तैयार की धर्म स्क्रिप्ट

Loksabha News: लोकसभा चुनाव 2024 में 10 महिने से भी कम का समय बचा है। केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए बीजेपी यूपी फतेह करना ही होगा क्योंकि दिल्ली के गद्दी के रास्ता यूपी के गलियारे से होकर ही जाता है।

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लखनऊ

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Vikash Singh

May 30, 2023

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बीजेपी से मुकाबले के लिए सपा कार्यकर्ताओं को तर्कों से लैस करना चाहती है

यूपी में मुख्य विपक्षी पार्टी के भूमिका के रूप मेंअभी समाजवादी पार्टी है। यूपी बीजेपी से मुकाबले के लिए किसी ठोस रणनीति की दरकरार थी। बीजेपी के हार्ड हिंदुत्व के लिए समाजवादी पार्टी ने सॉफ्ट हिंदुत्व का ट्रम्प कार्ड खेला है।

सॉफ्ट हिंदुत्व के रणनीति पर चलते हुए समाजवादी पार्टी ने साल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपनी पहली 2 दिन के लिए ट्रेनिंग कैंप का आयोजन लखीमपुर खीरी में देवकली मंदिर और सीतापुर में नैमिषारण्य धाम के पास करेगी।

गठबंधन के राजनीति में फेल हुए अखिलेश अब मंदिर और हवन के सहारे

पिछले चार चुनावों में गठबंधन के विभिन्न फॉर्मूले आजमाने और चुनावी सफलता हासिल करने में अखिलेश यादव पूरी तरह से फेल हुए। यूपी में लगातार मुस्लिम वोट हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी यानी सपा ने देश के सबसे बड़े सूबे में बीजेपी से निपटने के लिए "नरम हिंदुत्व" का रुख अपनाने की कोशिश कर रही है।


अगले साल के शुरुआत में ही लोकसभा चुनाव है। सपा साल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले मुख्य धार्मिक स्थानों पर "हवन" और "पूजा" करके कार्यकर्ताओं के लिए अपने ट्रेनिंग कैंपों की शुरुआत करेगी।

महाभारत से जुड़ी है देवकली मंदिर की हिस्ट्री, सांपों से बचाती है यहां की मिट्टी

पार्टी ने 5 जून से शुरू होने वाले अपने पहले 2 दिन के ट्रेनिंग कैंप के लिए लखीमपुर खीरी जिले के एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल देवकली मंदिर को चुना है। देवकली मंदिर महाभारत से जुड़ी हुई है और इसे वह स्थान माना जाता है जहां अभिमन्यु के पोते जनमेजय ने एक भव्य यज्ञ किया था। लोगों का मानना है कि मंदिर की मिट्टी उन्हें सांपों से बचाती है। सपा ने ट्रेनिंग के लिए देवकाली मंदिर से सटे एक कॉलेज कैंपस को चुना है।


सपा के लखीमपुर खीरी जिलाध्यक्ष रामपाल यादव ने कहा कि जाहिर सी बात है कि जब पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता यहां प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने आएंगे तो मंदिर में दर्शन और आशीर्वाद लेने जाएंगे। ट्रेनिंग कैंप में नेता शिवपाल सिंह यादव कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे।

हवन पूजन के सहारे बीजेपी के हार्ड्कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की है तैयारी

पार्टी का दूसरा ट्रेनिंग कैंप 9 और 10 जून को देवकली मंदिर से लगभग 100 किलोमीटर साउथ में सीतापुर जिले के एक प्रमुख धार्मिक स्थल “नैमिषारण्य धाम” में आयोजित किया जाएगा। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के नैमिषारण्य धाम में हवन करने की तैयारी है।

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित पार्टी के सभी नेता ट्रेनिंग कैंप का उद्घाटन करने से पहले नैमिषारण्य धाम का भ्रमण करेंगे और मंदिर में हवन करेंगे। शिविर चक्रतीर्थ, ललिता देवी मंदिर और नैमिषारण्य धाम में व्यास गद्दी में धार्मिक अनुष्ठान करने के बाद शुरू होगा, “प्रशिक्षण शिविर के संयोजक और सपा के पूर्व विधायक रामपाल यादव ने एक मीडिया चैनल के इंटरव्यू में यह बातें कहीं।


सपा नेता ने राजनीतिक मुद्दों, चुनावी रणनीति और बूथ प्रबंधन को जोड़ते हुए कहा, "नजदीक के विधानसभा क्षेत्रों के बूथ अध्यक्षों और सेक्टर प्रभारियों को ट्रेनिंग कैंप में आमंत्रित किया गया है, जो नैमिषारण्य मंदिर परिसर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर मौजूद होगा।" ट्रेनिंग कैंप में चुनाव के स्ट्रेटेजी पर चर्चा की जाएगी।

राम मंदिर उद्घाटन से सपा भले दूरी बनाए लेकिन हिंदुत्व से दूरी अफोर्ड नहीं कर पाएगी पार्टी


समाजवादी पार्टी के सूत्रों ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले हिंदू धार्मिक जगहों का दौरा करने के पार्टी नेतृत्व के फैसले को अगले साल की शुरुआत में अयोध्या में राम मंदिर के निर्धारित उद्घाटन के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिसे भाजपा अपने चुनावी इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल करेगी और उसी को काउंटर करने के लिए यूपी के मंदिरों में दौरा कर रही है।


“राज्य में पिछले साल के विधानसभा चुनावों में, सपा को मुस्लिम वोटों का बहुमत मिला था, लेकिन फिर भी वह भाजपा को सत्ता से नहीं हटा सकी।

बसपा से गठबंधन में भी सिर्फ 5 सीटें जीत पाए थे अखिलेश, इस बार अकेले लड़ने पर जोर


साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जब सपा और बसपा गठबंधन में चुनाव लड़ रहे थे और पूरे मुस्लिम समुदाय ने गठबंधन को वोट दिया था, तब भी हम 80 में से केवल 15 सीटें ही जीत सके थे। अब, जब अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, तो 2024 में एक मजबूत हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण विपक्ष की जीत की संभावनाओं को चोट पहुंचा सकता है। इसलिए, सपा भाजपा को हराने में मदद करने के लिए केवल अल्पसंख्यक वोटों पर निर्भर नहीं रहना चाहती है।

बीजेपी से मुकाबले के लिए सपा कार्यकर्ताओं को तर्कों से लैस करना चाहती है


पार्टी यही सबसे अपील करने की कोशिश करेगी कि समाज के सभी वर्ग पार्टी को वोट दें, ”एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा। 27 मई को द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सपा एक नई, समर्पित संगठनात्मक संरचना के साथ एक "हाइब्रिड, जन-आधारित पार्टी" के रूप में विकसित होने की कोशिश कर रही है।


राज्य भर के विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में अपने कार्यकर्ताओं के लिए उनकी विचारधारा पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित करना और उन्हें भाजपा का मुकाबला करने के लिए तर्कों से लैस करना इस रणनीति का हिस्सा है।


”पार्टी के एक नेता ने बताया कि“मीडिया द्वारा कुछ राजनीतिक दलों के साथ असममित व्यवहार, राजनीति में धर्म के खुले और खुले तौर पर उपयोग, और संस्थानों के भगवाकरण जैसे विभिन्न कारकों ने सपा जैसी जन-आधारित पार्टी के लिए चुनौती पेश की है।


यूपी के बदले राजनीतिक समीकरण के हिसाब से एक अधिक बैलेंस आर्गेनाईजेशनल स्ट्रक्चर की आवश्यकता है, और सपा इस पर काम कर रही है।