
ब्रेन मैपिंग विशेषज्ञ डॉ. उत्तम कुमार ने दावा किया कि देश में यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. वैदिक मंत्रोच्चार (Vedic Mantrocchar) से दिमाग में सकारात्मक बदलाव होते हैं। बचपन से ही वैदिक मंत्रोच्चार करने वालों का मानसिक संतुलन, याददाश्त और उनके समझने की क्षमता सामान्य लोगों के मुकाबले कहीं अधिक होती है। ऐसे लोग ज्यादा भावुक, हाजिर जवाब और तर्कशील होते हैं। एसजीपीजीआई कैंपस स्थित सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) के अध्ययन में यह बात सामने आई है। सीबीएमआर के ब्रेन मैपिंग विशेषज्ञ डॉ. उत्तम कुमार, डॉ. अंशिका सिंह व क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बंगलुरू के साइकोलॉजी विभाग के डॉ. प्रकाश ने वैदिक मंत्रोच्चार का दिमाग पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया था।
अध्ययन में 21 से 28 आयु वर्ग के युवाओं को शामिल किया गया। इसमें 25 युवा ऐसे थे जो 9 से 11 साल तक गुरुकुल में रहकर लगातार वेदों का उच्चारण कर रहे हैं और संस्कृत बोलते हैं। इन्हें 20 हजार मंत्र श्लोक जुबानी रटे हैं। दूसरे ग्रुप के 25 उन युवाओं को लिया गया जिन्हें हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है, लेकिन वह नियमित तौर पर मंत्रोच्चार नहीं करते। काउंसिलिंग के बाद फंक्शनल एमआरआई से सभी की ब्रेन मैपिंग की गई और प्राप्त डाटा का आंकलन किया गया।
देश में यह अपनी तरह का पहला अध्ययन
ब्रेन मैपिंग विशेषज्ञ डॉ. उत्तम कुमार ने दावा किया कि देश में यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है। उन्होंने कहा कि मंत्रोच्चार करने वालों में मस्तिष्क की मेमोरी का स्कोर सामान्य की अपेक्षा ज्यादा मिला। वैदिक मंत्रोच्चार करने वालों में ब्रेन न्यूरॉन्स की मोटाई ज्यादा मिली, जिससे उनकी याददाश्त जबरदस्त होती है। ऐसे लोग ज्यादा भावुक, तर्कशील और हाजिर जवाब होते हैं। डॉ. कुमार ने बताया कि श्लोक व मंत्र का उच्चारण करते वक्त सांसों की गति पर नियंत्रण जरूरी होता है, जिससे धीरे-धीरे दिमाग को संदेश देने वाले न्यूरॉन्स बदलाव के बाद स्थायी होते जाते हैं और दिमाग अधिक सक्रियता से काम करने लगता है।
दावा- न्यूरो से जुड़ी बीमारियों के इलाज में मिलेगी मदद
डॉ. उत्तम कुमार का दावा है कि वैदिक मंत्रोच्चारण पर किये अध्ययन से न्यूरो से जुड़ी बीमारियों के इलाज में काफी मदद मिलेगी। यह कोरोना महामारी का सामना कर रहे लोगों के लिए भी किसी रामबाण से कम नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लोगों में मानसिक समस्या बढ़ी है। ऐसे में इस अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए तैयार होने वाले प्रोटोकॉल बनाने में मदद मिलेगी।
Published on:
11 May 2021 04:15 pm
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