
IAS अभिषेक प्रकाश पर विजिलेंस का शिकंजा, LDA से मांगा संपत्तियों का ब्योरा, भ्रष्टाचार केस में तेज हुई जांच
IAS Abhishek Prakash Scam: लखनऊ में एक और हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार का मामला सुर्खियों में है। ठेका दिलाने के एवज में रिश्वत लेने के आरोपों में निलंबित चल रहे IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब विजिलेंस विभाग ने जांच का दायरा विस्तृत करते हुए लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को पत्र भेजकर अभिषेक प्रकाश और उनके परिवार के नाम दर्ज सभी संपत्तियों का ब्यौरा मांगा है। साथ ही, विभाग ने एलडीए को 7 दिन के भीतर सभी अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियां देने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई न केवल प्रशासनिक हलकों में हलचल पैदा कर रही है, बल्कि यह संकेत भी दे रही है कि जांच एजेंसियां अब IAS अधिकारियों की संपत्ति, प्रभाव और नेटवर्क की परतें खोलने के लिए तैयार हैं।
अभिषेक प्रकाश उत्तर प्रदेश कैडर के 2012 बैच के IAS अधिकारी हैं। वह लखनऊ, प्रयागराज, और अन्य प्रमुख जनपदों में डीएम जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। लखनऊ में जिलाधिकारी रहने के दौरान उनके कार्यकाल की अक्सर तारीफ भी होती रही है। लेकिन हाल ही में, उन पर लगे भ्रष्टाचार और घूस से जुड़े आरोपों ने उनकी छवि पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार अभिषेक प्रकाश पर आरोप है कि उन्होंने कुछ ठेकेदारों को मनमाफिक टेंडर देने के एवज में कथित रूप से घूस ली। मामला तब सामने आया जब एक कारोबारी से जुड़ा ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें ठेके की सेटिंग को लेकर बातचीत का उल्लेख था। इसके बाद विजिलेंस विभाग ने मामले में जांच शुरू की।
प्रारंभिक जांच के बाद राज्य सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया और विभागीय जांच शुरू की गई। अब इस जांच की आंच लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) तक पहुंच चुकी है, जहां से जानकारी ली जा रही है कि अधिकारी और उनके परिजनों के नाम पर कितनी संपत्तियां हैं, कब खरीदी गईं, और किस स्रोत से फंडिंग हुई।
विजिलेंस विभाग ने LDA को स्पष्ट निर्देश दिया है कि अभिषेक प्रकाश और उनके परिवार के नाम रजिस्टर्ड हर प्रकार की संपत्ति, चाहे वह फ्लैट, भूखंड, व्यावसायिक स्थल या किसी योजना में आरक्षित भूखंड हो, उसकी प्रमाणित प्रति के साथ जानकारी 7 दिनों के भीतर सौंपी जाए। इस पत्र के मिलते ही LDA में भी हलचल मच गई है, क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब किसी उच्च स्तर के अधिकारी के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई की जा रही है, लेकिन इस बार मामला हाई-प्रोफाइल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील माना जा रहा है।
जानकारों के अनुसार विजिलेंस की नजर अब सिर्फ अभिषेक प्रकाश तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके करीबी सहयोगियों, रिश्तेदारों, और उन ठेकेदारों पर भी है, जिन्होंने उनके कार्यकाल में LDA या अन्य विभागों से लाभ उठाया। यह भी जांच की जा रही है कि क्या कोई फर्जी कंपनियों के जरिए संपत्ति अर्जन किया गया।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि जांच निष्पक्ष तरीके से होती है, तो यह उजागर हो सकता है कि अभिषेक प्रकाश के पास उनकी वैध आय से कहीं अधिक संपत्ति है। यदि ऐसी संपत्ति मिलती है, जो उनकी घोषित संपत्ति सूची में नहीं है, तो उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति (Disproportionate Assets) का केस दर्ज किया जा सकता है।
यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश सरकार के उस अभियान के अनुरूप मानी जा रही है जिसमें वह "भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस" की नीति पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले भी कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि भ्रष्टाचार में लिप्त कोई भी अधिकारी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना भी बड़ा पदाधिकारी क्यों न हो। इस केस में कार्रवाई से एक मजबूत संदेश गया है कि अब आईएएस और उच्च पदस्थ अधिकारी भी कानून से ऊपर नहीं हैं।
इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर लोग इस बात की सराहना कर रहे हैं कि सरकार और विजिलेंस विभाग अब भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहे हैं। कुछ लोगों ने तो #CleanUPBureaucracy और #CorruptIAS जैसे हैशटैग चलाकर अभियान भी शुरू कर दिया है।
Published on:
15 May 2025 11:49 am
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