
भालुओं की मौत के मामले में ईई समेत तीन इंजीनियरों पर मुकदमा दर्ज हुआ है
Threat to wildlife:सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में पहुंचे मादा भालू का शावक करंट की चपेट में आ गया था। ये घटना उत्तराखंड के गोपेश्वर में घटी थी। वैतरणी में मंगलवार रात भालू का शावक प्लांट के ट्रांसफार्मर में करंट की चपेट में आ गया था। उसी दौरान उसकी मां उसे बचाने के लिए पहुंची तो वह भी करंट की चपेट में आ गई थी। करंट से मादा भालू और उसके शावक की मौत हो गई थी। सूचना पर वन विभाग की टीम ने उप प्रभागीय वन अधिकारी जुगल किशोर चौहान के नेतृत्व में मौका मुआयना किया था। इस संबंध में टीम द्वारा उच्चाधिकारियों को भेजी रिपोर्ट में बताया गया कि एसटीपी के ट्रांसफार्मर के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे। ऐसे में भालू करंट की चपेट में आ गए। इसी लापरवाही के चलते वन विभाग ने ईई समेत तीन इंजीनियरों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
डीएफओ केदारनाथ तरुण एस. ने बताया कि मौके पर ट्रांसफार्मर जमीन पर रखा है। यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी नहीं हैं। इससे लोगों की जान को भी खतरा हो सकता है। जांच में एसटीपी प्लांट संचालित कर रहे जल संस्थान कार्मिकों की घोर लापरवाही सामने आई। ऐसे में एसटीपी संचालन कर रहे जल संस्थान के अधिकारियों के खिलाफ वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 के तहत केस दर्ज किया है। डीएफओ ने बताया कि मामले में जल संस्थान के अधिशासी अभियंता एसके श्रीवास्तव, सहायक अभियंता अरुण गुप्ता व अवर अभियंता राहुल नेगी को आरोपी बनाया है।
ट्रांसफार्मर में करंट से भालुओं की मौत से हड़कंप मचा हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम के तहत इस मामले दोषी पाए जाने पर कम से कम तीन और अधिकतम सात साल कारावास की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा 25 हजार रुपये जुर्माने का भी प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर सजा और जुर्माना दोनों भी लग सकते हैं।
Published on:
29 Nov 2024 08:18 am
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