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Opinion: जाम के नासूर से निजात मिलना बेहद ज़रूरी, स्वास्थ्य और पर्यावरण के साथ अर्थव्यवस्था के लिए भी नुकसानदायक

Traffic Jam: ट्रैफिक जाम ना केवल हमारी सेहत के लिए, बल्कि पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक होते हैं। कुछ मिनट जाम में फंसने पर ही दिक्कत हो जाती है वहीं कई बार तो घंटों जाम में ही बिताने पड़ते हैं। मगर इस जाम से न केवल हमारा वक्त बरबाद होता है बल्कि इनके और भी कई बुरे असर होते हैं जिनकी ओर अकसर हमारा ध्यान नहीं जाता है।

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Traffic Jam: राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानि एनएचएआई और यातायात विभाग ने सोमवार को एक अच्छी पहल करने जा रहा है। इसके मुताबिक अब अगर हाईवे पर किसी गाड़ी के खराब होने की वजह से जाम लगता है और वाहन मालिक अपनी गाड़ी को तय समय में सड़क से नहीं हटाता है तो उससे प्रति घंटे के हिसाब से जुर्माना वसूला जाएगा। दरअसल ये सच है कि हाईवे पर लगने वाले जाम से जहां घंटों वक्त बर्बाद होता है वहीं स्वास्थ्य से लेकर अर्थव्यवस्था तक को भी बेहद नुकसान पहुँचता है। वहीं कभी-कभी जाम में एंबुलेंस भी फंस जाती हैं। इससे मरीज की जिंदगी और मौत का सवाल पैदा हो जाता है। समय पर इलाज न मिलने पर मरीज की मौत भी हो जाती है। इसी को देख इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि यदि अब जाम में एबुलेंस फंसी तो इसे अपराध माना जाएगा और मरीज को नुकसान पहुंचाने के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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ये सच है कि ट्रैफिक जाम ना केवल हमारी सेहत के लिए, बल्कि पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक होते हैं। कुछ मिनट जाम में फंसने पर ही दिक्कत हो जाती है वहीं कई बार तो घंटों जाम में ही बिताने पड़ते हैं। मगर इस जाम से न केवल हमारा वक्त बरबाद होता है बल्कि इनके और भी कई बुरे असर होते हैं जिनकी ओर अकसर हमारा ध्यान नहीं जाता है। एक जानकारी के मुताबिक एक घंटे जाम में एक लीटर ईंधन बर्बाद होता है। जितनी ईंधन की खपत होगी, उतना ही ज्यादा सीओटू उत्सर्जन भी होगा, जो पर्यावरण और प्रदूषण के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के लिए भी नुकसानदायक होता है।

जाम में फंसने वालों को अकसर बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है। जब ट्रैफिक सामान्य रूप से नहीं चलता है, तो शरीर में स्ट्रेस पैदा करने वाले हार्मोन का रिसाव बढ़ जाता है। ऐसे में शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता कम होने लगती है और ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। अकसर जाम में फंसे रहने वालों में बर्नआउट की समस्या भी आम है। ऐसे में शरीर और दिमाग दोनों हीं थका हुआ महसूस करते हैं।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश के प्रमुख शहरों में लगभग हर दिन होने वाले ट्रैफिक जाम की वजह से ही भारत को सालाना लगभग 1.44 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। वहीं भीषण जाम के दौरान वायु प्रदूषण के साथ ही ध्वनि प्रदूषण की भी समस्या तेजी से बढ़ रही है। नगरीय आवासीय क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण 45 डेसिबल से बढ़कर 60 से 70 डेसिबल तक पहुंच जाता है। इसी के साथ ही जाम के आसपास के इलाकों की हवा भी ज़हरीली हो जाती है। उम्मीद है कि यातायात विभाग और एनएचएआई की इस सार्थक पहल का कुछ असर हो और जाम के नासूर से निजात मिल सके।