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SP-RLD ड्रामेबाज़ हैं, जब कैराना, मुजफ्फरनगर में दंगे हो रहे थे लोग पलायन कर रहे थे, उस समय आँसू कहाँ थे?

UP Assembly Elections 2022 में भाजपा की ओर से जन समर्थन मांगने के लिए सोशल मीडिया पर लाइव करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बाल्यान ने कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति कर रही सपा और रालोद का असली चेहरा फिर सामने आया है। ये दोनों मिलकर तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं। चुनाव से पहले ही सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशियों को जनता ने नकार दिया है। रालोद मुखिया जयंत को समझ नहीं आ रहा कि क्या करें और क्या न करें। इसीलिए वह अपनी खीझ जाट समाज पर निकाल रहे है।

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लखनऊ

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Dinesh Mishra

Jan 21, 2022

File Photo of Union Minister Dr Sanjiv Balyan

File Photo of Union Minister Dr Sanjiv Balyan

UP Assembly Elections 2022 में केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने राष्ट्रीय लोक दल पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा कि रालोद मुखिया और उनके पत्नी के ट्विट इस बात के गवाह हैं कि चुनाव के पहले ही उन्हें हार दिखने लगी है और चुनाव में उन्हें हिंदू-मुसलिम की याद आ रही है। तुष्टीकरण की राजनीति कर रही समाजवादी पार्टी और रालोद का असली चेहरा फिर सबके सामने आ गया है। जाट समाज कभी अपने अपमान को नहीं भूलेगा। इसीलिए जगह-जगह इनका विरोध हो रहा है।

उन्होंने पत्रकारों से गुरुवार को बातचीत में कहा कि पश्चिमी यूपी में कल नामांकन का आखिरी दिन है और जाट समाज की अनदेखी पर सपा-रालोद गठबंधन के घोषित उम्मीदवारों का विरोध तेज हो गया है। चुनाव से पहले ही इनके प्रत्याशियों को जनता ने नकार दिया है। जिस कारण रालोद मुखिया को समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें और क्या न करें। इसीलिए वह अपनी खीझ जाट समाज के नेताओं पर निकाल रहे हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि जब मुजफ्फरनगर में दंगे हुए थे, उस समय वह कहां थे? उनकी पार्टी कहां थीं।

इमोशनल कार्ड नहीं, सुशासन चलेगा: डॉ. संजीव

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में हार और प्रत्याशियों के विरोध को देखते हुए रालोद बैकफुट पर आ गया है। जिस कारण रालोद को अपने प्रत्याशियों को भी बदलना पड़ा। इसीलिए चुनाव में हिंदू-मुसलिम की बात कर रहे हैं। उन्होंने रालोद मुखिया की पत्नी के ईमोशनल कार्ड पर पलटवार करते हुए कहा कि रालोद प्रमुख की पत्नी ने ट्विटर पर ईमोशनल कार्ड खेला है, लेकिन इस बार इमोशनल कार्ड नहीं, सुशासन चलेगा। डॉ संजीव ने सवाल पूछा कि जब कैराना से पलायन हो रहा था तब उनके आँसू कहाँ थे।