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11 से 25 जुलाई तक मनाया जाएगा जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा, पढ़िये विश्व जनसंख्या दिवस पर एक स्पेशल रिपोर्ट

- 11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। - United Nation Development Program (UNDP) द्वारा वर्ष 1989 में प्रथम बार यह दिवस मनाया गया। - इस दिन अधिक प्रजनन के दुष्परिणामों के सम्बन्ध में जागरूक किया जाता है।  

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लखनऊ

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Akansha Singh

Jul 11, 2019

lucknow

11 से 25 जुलाई तक मनाया जाएगा जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा, पढ़िये विश्व जनसंख्या दिवस पर एक स्पेशल रिपोर्ट

लखनऊ. विश्व में बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणामों से जनसमुदाय को अवगत कराने के उद्देश्य से 11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस (World population day 2019) के रूप में मनाया जा रहा है। United Nation Development Program (UNDP) द्वारा वर्ष 1989 में प्रथम बार यह दिवस मनाया गया। इस दिवस पर समुदाय को अधिक प्रजनन के दुष्परिणामों के सम्बन्ध में जागरूक किया जाता है। कम समय में बार-बार गर्भधारण करना महिला के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है और मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर का प्रमुख कारण भी है ।

जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार देश की जनसंख्या 121 करोड़ है एवं लगभग 20 करोड़ की आबादी के साथ उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है जो सम्पूर्ण जनसंख्या का 16.50 प्रतिशत है। यहाँं प्रतिदिन 15000 बच्चे जन्म लेते हैं। राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जन्म दर (एक महिला द्वारा उसके पूरे प्रजनन काल में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या) 2.7 है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर 2.2 है ।

जनसँख्या स्थिरता के सम्बन्ध में जागरूकता बढाने के लिए भारत सरकार द्वारा इस वर्ष “परिवार नियोजन से निभाएँ जिम्मेदारी, माँ और बच्चे के स्वास्थ्य की पूरी तैयारी” थीम निर्धारित की गयी है, जिसका मुख्य उद्देश्य जनसाधारण को सीमित परिवार के बारे में जागरूक बनाने के साथ-साथ परिवार कल्याण कार्यक्रम को गति प्रदान करना भी है । एनएफएचएस-4 के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 15-49 वर्ष तक की विवाहित महिलाओं में, 45.5 प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन की किसी भी विधि का प्रयोग करती हैं, 31.7 प्रतिशत महिलाएं किसी भी आधुनिक विधि का प्रयोग करती हैं । महिलाएं नसबंदी का प्रतिशत 17.3 है । 1.2 प्रतिशत महिलाएं आईयूडी/प्रसव पश्चात आईयूडी (कोपर टी), 1.9 प्रतिशत गर्भनिरोधक गोलियां व 10.8 प्रतिशत पुरुष कोंडोम का प्रयोग करते हैं । केवल दशमलव एक प्रतिशत पुरुष ही नसबंदी करवाते हैं ।

एनएफएचएस-4 के अनुसार, लखनऊ जिले में 15-49 वर्ष तक की विवाहित महिलाओं में, 51.6 प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन की किसी भी विधि का प्रयोग करती हैं, 39.1% महिलाएं किसी भी आधुनिक विधि का प्रयोग करती हैं, महिला नसबंदी का प्रतिशत 17.3 है, 1.6 प्रतिशत महिलाएं आईयूडी/प्रसव पश्चात आईयूडी (कोपर टी) व 2.8 प्रतिशत गर्भनिरोधक गोलियां व 16.9 प्रतिशत पुरुष कोंडोम का प्रयोग करते हैं । पुरुष नसबंदी का प्रतिशत नगण्य है।
हेल्थ मैनेजमेंट इन्फोर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) के अनुसार जिले में 2018-19 में 380 पुरुषों ने नसबंदी कराई है । सरकार को पुरुष नसबंदी से संबन्धित भ्रांतियों को दूर करने की और जागरूकता फैलाने की जरूरत है। यूपी में 11 प्रतिशत पुरुष ही परिवार नियोजन के लिए कंडोम का इस्तेमाल करते हैं।