लखनऊ

UP में कृषि क्रांति: धान की सीधी बुवाई (DSR) को बढ़ावा देने के लिए लखनऊ में बना नया रोडमैप

UP Accelerator Program: उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) और विश्व बैंक समर्थित यूपी एक्सीलेरेटर प्रोग्राम ने लखनऊ में एक उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित कर धान की सीधी बुवाई (DSR) को बढ़ावा देने हेतु रणनीतिक रोडमैप तैयार किया। बैठक में नीति-निर्माता, कृषि विशेषज्ञ, किसान संगठन और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हुए।

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Mar 07, 2025
लखनऊ में हुई बैठक, डीएसआर को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों ने साझा किए विचार

UP Agriculture Council: उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) और विश्व बैंक समर्थित यूपी एक्सीलेरेटर प्रोग्राम ने धान की सीधी बुवाई (Direct Seeded Rice - DSR) को बड़े पैमाने पर अपनाने हेतु एक रणनीतिक रोडमैप तैयार करने के लिए उच्च-स्तरीय हितधारक बैठक का आयोजन किया। इस बैठक की अध्यक्षता उपकार के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह ने की, जिसमें नीति-निर्माताओं, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों, किसान उत्पादक संगठनों (FPO), प्रगतिशील किसानों और विभिन्न संस्थानों के अग्रणी विशेषज्ञों ने भाग लिया।

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डीएसआर अपनाने की वर्तमान स्थिति और विस्तार की योजना

यूपी एक्सीलेरेटर प्रोग्राम के तहत 2024 में डीएसआर तकनीक का दायरा लगभग 80,000 हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। बैठक में डीएसआर को और व्यापक स्तर पर अपनाने की दिशा में एक संगठित कार्य योजना बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इस योजना में निम्नलिखित बिंदुओं को प्रमुखता दी गई:


.कार्बन क्रेडिट और प्रमाणन तंत्र की संभावनाएं।
.ड्रोन तकनीक, प्रिसीजन फार्मिंग और आधुनिक कृषि मशीनरी का उपयोग।
.मृदा पोषण, जैव उर्वरकों और जल प्रबंधन तकनीकों का समावेश।
.इनपुट लागत में कमी और श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिए नवाचारों की भूमिका।

किसान उत्पादक संगठनों (FPO) की अहम भूमिका

बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि डीएसआर को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) की भूमिका को सशक्त किया जाए। एफपीओ किसानों को डीएसआर तकनीक अपनाने, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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डीएसआर अपनाने के लिए उपयुक्त धान की किस्में और संकर प्रजातियां

विशेषज्ञों ने डीएसआर के लिए उचित धान की किस्मों और संकर प्रजातियों के चयन को लेकर चर्चा की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि डीएसआर की सफलता के लिए उन्नत बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, अंकुरण प्रक्रिया को मजबूत बनाने और पहले 40 दिनों के लिए विशेष तकनीकी दिशानिर्देशों का पालन करने की जरूरत को रेखांकित किया गया।

जलवायु परिवर्तन और बुंदेलखंड में संभावनाएं

बैठक में बुंदेलखंड क्षेत्र को वर्षा आधारित धान की खेती के लिए एक उभरते क्षेत्र के रूप में पहचाना गया। डीएसआर तकनीक के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई।

निजी क्षेत्र की भागीदारी और तकनीकी नवाचार

निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने डीएसआर तकनीक के तेजी से विस्तार में अपनी भूमिका को लेकर सुझाव दिए। इसमें हाई-क्वालिटी बीजों, ड्रोन टेक्नोलॉजी, प्रिसीजन फार्मिंग टूल्स और जैव उर्वरकों की उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ किसानों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने पर जोर दिया गया। निजी क्षेत्र के साथ मजबूत भागीदारी से बाजार कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और डीएसआर को अधिक टिकाऊ बनाने में मदद मिलेगी।

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डीएसआर को लेकर भविष्य की रणनीति
.बैठक में डीएसआर अपनाने के लिए निम्नलिखित रणनीतियों पर जोर दिया गया:
.जिला स्तर पर मानकीकृत कृषि पद्धति विकसित करना।
.डीएसआर किसानों के लिए वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन योजनाएं लागू करना।
.सतत निगरानी और प्रदर्शन परियोजनाओं को बढ़ावा देना।
.निजी और सरकारी क्षेत्र के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना।

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उपकार और यूपी एक्सीलेरेटर प्रोग्राम की प्रतिबद्धता
उपकार ने यूपी एक्सीलेरेटर प्रोग्राम के साथ मिलकर डीएसआर पायलट और प्रदर्शन परियोजनाओं की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का निर्णय लिया। यह कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK), निजी क्षेत्र के भागीदारों और सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर टिकाऊ डीएसआर क्लस्टर विकसित करेगा और एफपीओ नेटवर्क को सशक्त करेगा। बैठक में डीएसआर तकनीक को उत्तर प्रदेश में व्यापक स्तर पर अपनाने और इसे आधुनिक तकनीकों एवं किसान संगठनों के माध्यम से बढ़ावा देने पर सहमति बनी। यह रणनीति राज्य में धान उत्पादन को अधिक टिकाऊ, जलवायु-अनुकूल और लागत प्रभावी बनाने में सहायक होगी।

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