UP ATS Busts Forced Conversion Racket: उत्तर प्रदेश एटीएस ने फर्जी बाबा छांगुर और उसकी सहयोगी नसरीन को सात दिन की रिमांड पर लेकर धर्मांतरण के एक संगठित रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इनसे नेटवर्क, पैसों के लेन-देन और अवैध संपत्तियों पर पूछताछ होगी। ईडी ने भी मामले में FIR की मांग की है।
UP ATS Amitabh Yash Press: उत्तर प्रदेश एटीएस (Anti-Terrorism Squad) ने प्रदेश भर में चल रहे एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश करते हुए कथित बाबा छांगुर और उसकी मुख्य सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को 7 दिन की रिमांड पर ले लिया है। इन दोनों से पूछताछ के दौरान गिरोह के नेटवर्क, धनशोधन, और अवैध रूप से अर्जित की गई संपत्तियों की जानकारी जुटाई जाएगी। इस संबंध में उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून-व्यवस्था) अमिताभ यश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे प्रकरण की जानकारी साझा की।
प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि छांगुर बाबा और उसकी टीम पिछले 15 वर्षों से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में सक्रिय है। यह गिरोह झूठे धार्मिक प्रलोभनों, चमत्कारों और झाड़ फूंक के ज़रिए लोगों को अपने प्रभाव में लेकर उनका जबरन या छलपूर्वक धर्मांतरण करवा रहा था। बाबा खुद को 'धार्मिक गुरु' बताकर भोले-भाले लोगों को भ्रमित करता था, जबकि उसकी सहयोगी नसरीन योजना बनाकर उन लोगों को मानसिक रूप से तैयार करती थी।
इस मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी सक्रिय हो गया है। ईडी ने यूपी एटीएस से इस केस की एफआईआर की मांग की है ताकि धनशोधन के एंगल से अलग से जांच शुरू की जा सके। माना जा रहा है कि बाबा और उसकी टीम ने झूठे धार्मिक चमत्कारों और प्रवचन के नाम पर करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि गिरोह के खिलाफ पुख्ता सबूत मिलने के बाद छापेमारी कर गिरफ्तारी की गई। मोहम्मद अहमद नामक एक अन्य व्यक्ति की भूमिका भी सामने आई है, जिसकी ATS जांच कर रही है। कुछ संपत्तियां लखनऊ, बहराइच, गोंडा और प्रयागराज में चिन्हित की गई हैं, जिन्हें जब्त और ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
ATS को पूछताछ में यह भी पता चला है कि गिरोह फर्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड और जाति प्रमाण पत्र बनवाकर धर्मांतरण के बाद उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने का प्रलोभन देता था। इसके बदले गिरोह मोटी रकम वसूल करता था।
ADG ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह केवल धर्मांतरण का मामला नहीं, बल्कि लोगों के मौलिक अधिकारों के दुरुपयोग और उनके विश्वास के साथ धोखा है। गिरोह ने "अंधश्रद्धा" और "भय" का फायदा उठाकर सामाजिक संतुलन को नुकसान पहुँचाने का कार्य किया है।
जांच में यह भी सामने आया है कि गिरोह को कुछ कथित समाजसेवी संगठनों का समर्थन प्राप्त था। अब इन संगठनों की भूमिका भी खंगाली जा रही है। ATS इस दिशा में भी काम कर रही है कि कहीं यह पूरा मामला किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंडे या नेटवर्क का हिस्सा तो नहीं है।
उत्तर प्रदेश सरकार के ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के अंतर्गत इन आरोपियों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया जाएगा। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक लखनऊ के बाहरी क्षेत्र में छांगुर बाबा की एक फार्म हाउस जैसी संपत्ति चिन्हित हुई है।
नीतू उर्फ नसरीन के नाम पर खरीदे गए दो फ्लैट भी जांच के दायरे में हैं। इन संपत्तियों के रजिस्ट्री दस्तावेज भी फर्जी या बेनामी पाए गए हैं। ATS ने साफ किया है कि यदि इस नेटवर्क में कोई राजनैतिक या प्रशासनिक संरक्षण सामने आता है, तो उन पर भी सख्त कार्रवाई होगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि पीड़ितों को मुआवजा और कानूनी सहायता मिल सके।